बांग्लादेश पर बहुत बड़ा हमला, 271 किलोमीटर की सीमा पर कब्जा, भारत चौंक गया
ढाका (एजेंसी)। जिस वक्त बांग्लादेश भारत को धमकी देने में व्यस्त था, ठीक उसी वक्त उस पर बहुत बड़ा हमला हुआ है। बांग्लादेश की 271 किलोमीटर की सीमा पर कब्जा कर लिया गया है। यहां तक कि दावे किए जा रहे हैं कि बांग्लादेश के टेक्नाफ शहर पर भी कब्जा कर लिया गया है। म्यांमार के एक विद्रोही संगठन ने बांग्लादेश की सीमा पर ही कब्जा कर लिया है।
यह संगठन बांग्लादेश पर जबरदस्त हमले कर रहा है। हमले इतने भीषण हैं कि बांग्लादेश की सीमा म्यांमार बॉर्डर से भाग गई है। म्यांमार के विद्रोही संगठन आराकान आर्मी ने बांग्लादेश में घुसकर हमले किए हैं। आराकान रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी मुसलमानों पर ड्रोन से हमले कर रही है।
कई लोगों का तो यहां तक कहना है कि आराकान आर्मी भारत को खुश करने के लिए बांग्लादेश के टुकड़े करना चाहती है। आराकान आर्मी चाहता है कि भारत अपना कालादान प्रोजेक्ट पूरा करे। अब इस दावे में कितनी सच्चाई है यह तो वक्त के साथ साफ हो जाएगा।
कालादान प्रोजेक्ट क्या है?
दरअसल, भारत ने 90 के दशक में लुक ईस्ट पॉलिसी अपनाई। यानी पूर्वी एशिया के देशों के साथ संबंध मजबूत बनाने शुरू किए। जिसे 2014 में मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी का नाम दिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ संबंधों पर ज्यादा जोर देना शुरू किया।
दक्षिण पूर्व एशिया के देशों तक पहुंच बनाने के लिए और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए 2008 में कालादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की गई। इसके तहत भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों तक पहुंचने के लिए सबसे छोटा रास्ता बनाना था।
भारत और म्यांमार 1643 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं, जिसमें 98 किलोमीटर मणिपुर में है। बांग्लादेश के तीन तरफ भारत है तो एक तरफ म्यांमार है। म्यांमार का रखाइन इलाका बांग्लादेश से लगता है।
अब बांग्लादेश के खिलाफ रखाइन स्टेट में आराकान आर्मी आकर खड़ी हो गई है। पिछले कुछ दिनों से आराकान आर्मी बांग्लादेश पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है।
म्यांमार का गृह युद्ध और आराकान आर्मी
यह तो सभी को पता है कि इस वक्त म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है। म्यांमार के अलग-अलग इलाकों में विद्रोही संगठनों का कब्जा है। ऐसे में रखाइन इलाके में आराकान आर्मी का राज है।
आप जिन रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में सुनते हैं वो रखाइन इलाके के ही हैं। रखाइन में 30 प्रतिशत रोहिंग्या मुसलमान और 60 प्रतिशत बुद्धिस्ट रहते हैं। रखाइन इलाका हमेशा से ही बुद्धिस्ट लोगों का रहा है। लेकिन रोहिंग्याओं ने जब बुद्धिस्ट लोगों को मारना शुरू कर दिया तो इसका बदला लेने के लिए साल 2009 में आराकान आर्मी की स्थापना की गई।
अभी तक तो ये सिर्फ रोहिंग्याओं से ही जंग लड़ रही थी।