नई दिल्ली, एजेंसी: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी ने रविवार को कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि योगी सरकार का यह निर्णय नामुनासिब और गैर जिम्मेदाराना है।

मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि कांवड़ यात्रा का जमीयत उलेमा-ए-हिंद हमेशा से इस्तकबाल करता रहा है। उन्होंने कहा, “बहुत ही सलीके के साथ बनारस, मुजफ्फरनगर, शामली और देश के कई इलाकों में, जहां-जहां से कांवड़ यात्री गुजरते थे, उलेमा-ए-हिंद की ओर से उनका फल देकर और पानी पिलाकर स्वागत किया जाता था। योगी सरकार का यह फैसला बेहद गैर जिम्मेदाराना और गलत है।”

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने भी इसे अनुचित निर्णय बताया। उन्होंने कहा, “हमारे देश के लोग इस फैसले को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। हमारा देश गांधी, नेहरू और पटेल का देश है। हम सब लोग इस मुल्क का हिस्सा हैं। इस तरह के हालात अफ्रीका जैसे मुल्कों में होते थे, जहां इंसानों में भेदभाव किया जाता था। अंग्रेजों ने ऐसा कर रखा था। आजादी की लड़ाई के बाद अब यह ऐसा फरमान जारी किया गया है, यह मुनासिब नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद की लीगल टीम के संपर्क में हैं और लगातार चर्चा हो रही है। “अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। जो भी फैसला लिया जाएगा, उसके अनुसार हम उचित कदम उठाएंगे। हम विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं से बातचीत करेंगे और उचित कदम उठाएंगे,” उन्होंने कहा।

मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि वह खुद मुजफ्फरनगर गए थे और वहां पर लोगों से बातचीत की थी। एक रिपोर्ट जमीयत उलेमा-ए-हिंद को सौंपी गई थी, जिसका अध्ययन करने के बाद बयान जारी किया गया था। उन्होंने कहा, “सत्ता पक्ष, विपक्ष और समाज के पढ़े-लिखे लोगों को साथ लेकर हम बातचीत करेंगे और उसके बाद उचित कदम उठाएंगे। एनडीए की सरकार है, लेकिन एनडीए गठबंधन में कई ऐसे दल हैं जो इस फैसले के खिलाफ हैं, वह भी इसे गलत बता रहे हैं। हमारे समाज में जो भाईचारे का माहौल रहा है, उसके अंतर्गत ऐसा फरमान गलत है। यह सरकार की नाजायज कोशिश जायज नहीं हो सकती। यह बांटने का काम कर रहे हैं। यह अंग्रेजों जैसा फरमान है, बांटो और राज करो।”