कानपुर। भारतीय शतरंज टीम ने हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुए 45वें फिडे (अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ) शतरंज ओलंपियाड में रविवार को इतिहास रच दिया। भारतीय टीम ने अमेरिका जैसी मजबूत टीम को हराकर ट्रॉफी पर कब्जा किया। हालांकि टीम को असली ट्रॉफी के बजाय डमी ट्रॉफी मिली।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के दिल्ली स्थित कार्यालय से ट्रॉफी चोरी हो गई है। एआईसीएफ ने नई दिल्ली में एक दिन पहले ट्रॉफी चोरी होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई है।

रविवार को उत्तर प्रदेश शतरंज खेल संघ की वार्षिक आम सभा में आए एआईसीएफ के उपाध्यक्ष अनिल कुमार रायजादा ने बताया कि गैप्रिंडाशविली ट्रॉफी ओपन और महिला डिवीजन में श्रेष्ठ स्थान पर आने वाली टीमों को प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में यह ट्रॉफी भारतीय टीम ने ही जीती थी।

जब अंतरराष्ट्रीय स्तर से ट्रॉफी को हंगरी की राजधानी में चल रहे ओलंपियाड में भेजने का निर्देश मिला, तो ट्रॉफी की खोजबीन शुरू हुई। एक महीने बाद भी कुछ पता न चलने पर शनिवार को दिल्ली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। उधर, विजेता भारतीय टीम को फिडे से डमी ट्रॉफी देने की गुजारिश की गई।

गैप्रिंडाशविली ट्रॉफी रोलिंग ट्रॉफी होती है, जो प्रत्येक विजेता के पास जाती है। इस बार भी भारतीय खिलाड़ियों ने इस ट्रॉफी को जीत लिया, पर ट्रॉफी के खोने की खबर से पूरी दुनिया में निराशा हुई है।