पंडालों को अंतिम रूप देने में पूरी रात लगे रहे आयोजक
चौपाल संवाद, फतेहपुर
शुभ कार्यों के अधिष्ठाता, विद्या, बुद्धि और विवेक के देवता भगवान गणपति आज, यानी 7 सितंबर को घर-घर में विराजमान होंगे। गणेश चतुर्थी से प्रारंभ होने वाला यह महोत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है, जिसे भगवान गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पूरे जिले में गणपति के स्वागत की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।
आयोजकों ने कहीं मूर्ति की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां शुरू कीं, तो कहीं पंडालों की सजावट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मूर्तिकारों के पास से आर्डर पर तैयार प्रतिमाओं को पंडालों तक पहुंचाया जा रहा है, और वे देर रात तक मूर्तियों की उठान के लिए आयोजकों का इंतजार करते रहे। शहर के चौक बाजार सहित अन्य स्थानों पर पंडालों में सजावट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कोई पंडालों को दूधिया रोशनी से सजाने की तैयारी कर रहा है, तो कोई तिरंगी छटा बिखेरने वाली झालरों का उपयोग कर रहा है।
कैसे करें मूर्ति स्थापना
- मूर्ति की स्थापना उत्तर दिशा में करना श्रेष्ठ है।
- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मूर्ति स्थापित करें।
- पीला जनेऊ, पीले पुष्प के साथ मोदक (लड्डू), नारियल अर्पित करें।
- दूर्वा और गुलाब के पुष्प से पूजन करें और पंचमेवा, ऋतुफल अर्पित करें।
- ‘ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें और तीनों समय आरती करें।
गौरीपुत्र गणेशजी का पहला नाम विनायक
गौरीपुत्र गणेशजी का पहला नाम विनायक है। बाद में हाथी की सूंड मिलने के कारण उन्हें गणेश और गणों का नेतृत्व करने के बाद गणपति कहा गया। अपने माता-पिता शिव और पार्वती की सेवा और उन्हें ही तीर्थ मानने के कारण गणपति को अग्रणी देवता की पदवी प्राप्त हुई। हर शुभ कार्य उनके आह्वान से ही प्रारंभ होता है।