कानपुर। कानपुर का घनी आबादी वाला इलाका, दिन रविवार, समय करीब शाम के 4 बजे। पता- 62/75 हरबंश मोहाल। अचानक कमरे के अंदर 20 फीट गहरा गड्ढा हो गया और पास खड़ा युवक शंभू सिंह इसमें गिर जाता है। हालांकि, किस्मत अच्छी थी कि उनकी जान बच गई। अपने साथ हुई घटना के बाद शंभू ने बताया, “मेट्रो ने टनल निर्माण का काम किया था। अब घर की जमीन धंस गई है। पूरा मकान भी ढह सकता था। लेकिन भगवान का शुक्रिया है कि बड़ा हादसा टल गया। मैं बच गया। मुझे लगा कि मौत सामने है। चिल्लाया तो लोगों ने मुश्किल से मुझे बाहर निकाला।”

कानपुर मेट्रो टनल के ऊपर बने करीब 40 मकानों में दरारें होंगी।

कानपुर के जिस घर में 20 फीट का गड्ढा हुआ, उसे भरने में करीब 3 ट्रक कंक्रीट मसाला लग गया। करीब 24 घंटे से ज्यादा वक्त का समय इसे भरने में लग गया। हालांकि, मौके पर मौजूद मेट्रो के इंजीनियरों ने सिर्फ 7 फीट गहरा गड्ढा ही बताया। स्थानीय लोगों के मुताबिक 3 ट्रक निर्माण सामग्री लगी। मौके पर दो ट्रक खड़े भी पाए गए। निर्माण सामग्री वाले ट्रक में 7 क्यूबिक मीटर तैयार निर्माण सामग्री आती है। 7 क्यूबिक मीटर निर्माण सामग्री का प्रयोग 200 वर्ग गज की छत ढालने में किया जाता है। इसको अगर 3 ट्रक से गुणा करें तो करीब 600 वर्ग गज की छत ढाली जा सकती थी, जितनी निर्माण सामग्री सिर्फ एक गड्ढे में प्रयोग हो गई। करीब 15 मजदूरों को इस गड्ढे को भरने में लगाया गया था। फिलहाल मेट्रो ने पूरे घर को खाली करा दिया है। परिवार के सभी 30 लोगों को मेट्रो ने अपने खर्च पर होटल में शिफ्ट करा दिया है।

लेकिन सिर्फ उस मकान के लोगों को ही नहीं, बल्कि आसपास के मकानों में भी दरारें हैं।

इस हादसे के बाद उन्हें भी डर सताने लगा है कि ये हादसा कहीं विकराल रूप न ले ले। अब उस शख्स की जुबानी पढ़िए जो इस हादसे में मौत को छूकर वापस आ गया…

पैर रखते ही धंस गई जमीन

चश्मदीद शंभू ने दैनिक भास्कर को पूरा घटनाक्रम बताया। पढ़िए उनकी जुबानी, “मुझे दो-तीन दिन से जमीन पोल होने का अंदेशा लग रहा था। मैंने वहां पंखा रखा तो वो भी हिल रहा था। रविवार को सुबह ही मेट्रो अधिकारियों को इसकी शिकायत करने गया था। पड़ोस में रहने वाले दोस्त को जगह दिखाने लाया था कि देखो जगह कितनी नरम हो गई है। जैसे ही मैं उसे बता रहा था कि मैंने उस जगह पर पैर रखा। पैर रखते ही मैं कंधे तक जमीन में धंस गया। तेज आवाज के साथ मानों जमीन फट गई। मेरा दोस्त पास में ही खड़ा था। मैंने उसका एक हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ से तख्त पकड़ लिया। मेरा दोस्त और मैं दोनों तेज आवाज में बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगे। जिसके बाद घर में रहने वाले लोग आए और उन्होंने बचाया। करीब 3 मिनट में गड्ढे में ही लटका रहा। बचने के बाद ऐसा लगा मानों मौत को छूकर वापस आ गया।”

चश्मदीद के चाचा की भी सुनिए…

मेरा नाम विनोद सिंह है। मैं मकान के तीसरे खंड में रहता हूं। जिस वक्त हादसा हुआ, मैं उस वक्त खाना खा रहा था। नीचे चिल्लाने की आवाज आई तो भाग कर घर के नीचे आया। जो दोस्त पकड़े था, वो भी गड्ढे में घुसने वाला था। मेट्रो ने करीब 2 माह पहले नोटिस दिया था। सुबह नोटिस दिया और शाम को खाली करने को कहा। उस वक्त हम परिवार के 30 लोग होटल में रुके, लेकिन आज तक किसी को किराया तक नहीं दिया।

स्थानीय निवासियों का दर्द:

स्थानीय निवासी अमरनाथ गुप्ता ने बताया कि ये तो मालूम नहीं था कि ऐसी घटना घट जाएगी। जब से मेट्रो ने काम शुरू किया है, तब से डर का माहौल बना हुआ है। आसपास के करीब सभी मकानों में यही स्थिति है। मेट्रो कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। दुकानदार शिव शंकर पांडेय कहते हैं कि 45 साल से दुकान है। कल रात से सामान खाली कर रहे हैं। अंदेशा है कि कहीं पूरा मकान न गिर जाए। मेट्रो अब दुकान की फर्श की खुदाई कर रही है। बोल रहे हैं कि मिट्टी की जांच कराएंगे। ये भी कहा है जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करेंगे।

जगह-जगह से चटक गई हैं छतें

जिस मकान की फर्श धंसी, ठीक उसके पड़ोस में रहने वाले पचमेश कश्यप ने अपना मकान दिखाते हुए कहा कि उनके पूरे मकान में दरारें हैं। कुछ माह पहले भी टनल खुदाई के दौरान दरारें आई थीं, जिसे मेट्रो ने ठीक कर दिया। लेकिन अब मकान की छतें तक जगह-जगह से चटक गई हैं। डर बना रहता है कि कब छत गिर जाए। घर रहने लायक रहा नहीं। कई बार मेट्रो अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। वहीं क्षेत्रीय विधायक अमिताभ बाजपेई ने कहा कि गड्ढे को भरने से पहले मेट्रो ने कोई जांच नहीं की। गड्ढा नीचे कितना खोखला था, इसका अंदाजा नहीं लगाया। करीब 3 ट्रक कंक्रीट गड्ढे को भरने में लग गया। पहले भी मैंने खुद कई बार मेट्रो से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। क्षेत्रीय पार्षद रजत बाजपेई ने बताया कि मेट्रो ने पहले काम किया था, तब भी दरारें आई थीं। मकान खाली करने एवज में मेट्रो ने किराये के पैसे देने की बात कही थी, लेकिन अभी तक किराये के पैसे नहीं दिए हैं।

अब बात करते हैं मेट्रो के निर्माण कार्य की…

कानपुर मेट्रो में दो रूट पर काम कर रही है। पहला रूट है आईआईटी से नौबस्ता तक। यह रूट 23.4 किमी लंबा है। इसमें कानपुर आईआईटी से मोतीझील के 9 किमी सेक्शन में मेट्रो दौड़ रही है। इसके आगे चुन्नीगंज से ट्रांसपोर्ट नगर तक मेट्रो अंडरग्राउंड दौड़ेगी। इसके अप लाइन और डाउन लाइन मेट्रो सतह से करीब 18 मीटर नीचे टनल बना रही है। चुन्नीगंज से ट्रांसपोर्ट नगर तक करीब 9.94 किमी लंबाई में कानपुर मेट्रो अंडरग्राउंड स्टेशन से लेकर टनल निर्माण का कार्य कर रही है। नयागंज से कानपुर सेंट्रल स्टेशन के बीच आने वाले हरबंश मोहाल के घरों में दरारें आई हैं। इसी रूट पर आने वाले मकान में हादसा हुआ। हालांकि चुन्नीगंज से नयागंज के बीच मेट्रो टनल निर्माण का कार्य पूरा कर चुका है। यहां एक बार मेट्रो भी आ चुकी है।

इस प्रकार बनाए जा रहे हैं अंडरग्राउंड स्टेशन

  • चुन्नीगंज-नयागंज के बीच 4 किलोमीटर लंबाई में 4 अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, नयागंज हैं।
  • नयागंज से कानपुर सेंट्रल अंडरग्राउंड स्टेशन के बीच लगभग 1250 मीटर लंबाई है।
  • कानपुर सेंट्रल से ट्रांसपोर्ट नगर तक 4.24 किमी मेट्रो अंडरग्राउंड दौड़ेगी। इसमें कानपुर सेंट्रल स्टेशन, झकरकटी स्टेशन, ट्रांसपोर्ट नगर स्टेशन शामिल हैं।

अंडरग्राउंड स्टेशनों की लंबाई और चौड़ाई

  • चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा: 215 मीटर लंबाई व 23 मीटर चौड़ाई।
  • नयागंज, सेंट्रल स्टेशन, झकरकटी स्टेशन, ट्रांसपोर्ट नगर: 225 मीटर लंबाई व 22.3 मीटर चौड़ाई।