लघु उद्योग दिवस पर कानपुर के मझोले उद्योगों की सफलता की कहानियाँ सामने आई हैं, जो न केवल उद्योगपतियों को प्रेरित करती हैं, बल्कि शहर को भी एक नई दिशा प्रदान कर रही हैं। मझोले उद्योग अब शहर की जीवन रेखा बन चुके हैं, जिनके बल पर कानपुर फिर से वैश्विक पटल पर उभरने के लिए तैयार है।
अभिषेक अग्रवाल की कहानी: असम से कानपुर आए अभिषेक अग्रवाल ने अगरबत्ती और धूपबत्ती के उत्पादन में बड़ा कारोबार खड़ा किया है। उन्होंने 2018-19 में खुद का उत्पादन शुरू किया और अब उनकी कंपनी के उत्पाद बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा सराहे जा रहे हैं। कानपुर में उनकी तीन फैक्ट्रियां हैं, जिनमें लगभग 150 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इनमें से एक तिहाई से अधिक महिलाएं हैं। उनकी इकाई प्रदेश सरकार की एमएसएमई योजना 2022 के तहत सबसे पहले सब्सिडी प्राप्त करने वाली इकाई बनी थी।
संदीप सावलानी का नया आइडिया: बर्रा निवासी संदीप सावलानी ने माडर्न नमकीन ब्रांड के तहत 2022 में पहली बार देश में 10 रुपये की ज़िपर पैक में नमकीन बेचने की शुरुआत की, जिससे उनका कारोबार तेजी से बढ़ा। संदीप की पनकी और कानपुर देहात में फैक्ट्रियां हैं, जहाँ 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं। उन्होंने अब थैले स्टाइल में पैकिंग भी शुरू की है, जिसे आसानी से हाथ में पकड़ा जा सकता है।
कानपुर में पंजीकृत उद्योगों का आँकड़ा: जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक, 27 अगस्त 2024 तक कानपुर में 112,341 उद्यम पंजीकृत हो चुके हैं। इनमें सूक्ष्म उद्योगों की संख्या 108,296, लघु उद्योगों की संख्या 3,694 और मध्यम उद्योगों की संख्या 349 है। इन उद्योगों में 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा फूड प्रोडक्ट, चमड़ा उत्पाद, रेडीमेड कपड़े और हार्डवेयर से संबंधित इकाइयाँ हैं।
लघु उद्योगों की इस प्रगति ने न केवल कानपुर को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं, बल्कि शहर की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती दी है।