रीढ़ की चोट से ग्रसित मरीजों के लिए स्टेम सेल थैरेपी एक नई उम्मीद बनकर सामने आई है। कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रिजनरेटिव मेडिसिन और सर्जरी विभाग द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि स्टेम सेल थैरेपी ने उन रोगियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं जो लंबे समय से बिस्तर पर थे और जिनके हाथ-पैर काम नहीं कर रहे थे।
रिपोर्ट के अनुसार, स्टेम सेल थैरेपी के बाद 40 रोगियों में सुधार देखा गया, जिनमें से ज्यादातर की रीढ़ की चोट के कारण शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो गया था। इन रोगियों में दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों के लोग शामिल थे। कुछ रोगी तीन साल से बिस्तर पर थे और पेशाब की थैली का उपयोग कर रहे थे, लेकिन थेरेपी के बाद उनकी स्थिति में सुधार हुआ। 75% रोगियों में थैरेपी के बाद संवेदनाएं वापस आईं, जिससे उन्हें चलने-फिरने और बिस्तर पर करवट लेने में मदद मिली।
डॉ. आंचल अग्रवाल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुछ रोगियों को दूसरी खुराक की जरूरत पड़ी, जिससे उनका मोटर पावर भी सुधर गया। फर्रुखाबाद के अजय और शहर के धर्मेंद्र सिंह चौहान जैसे रोगियों ने स्टेम सेल थैरेपी के बाद चलने-फिरने की क्षमता वापस पाई।