एक देश, एक चुनाव विधेयक पर विपक्ष का विरोध
नई दिल्ली (एजेंसी):
“एक देश, एक चुनाव” विधेयक पर मंगलवार को लोकसभा में जोरदार बहस देखने को मिली। सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए संविधान (129वां) संशोधन विधेयक 2024 और संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक 2024 का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया।
विधेयक का मुख्य उद्देश्य:
इन विधेयकों का उद्देश्य पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रावधान को लागू करना है।
विपक्ष की आपत्तियां:
- संघीय ढांचे के खिलाफ:
- कांग्रेस (मनीष तिवारी): यह विधेयक भारत के संघीय ढांचे और लोकतंत्र के खिलाफ है।
- तृणमूल कांग्रेस (कल्याण बनर्जी): राज्यों की स्वायत्तता खत्म की जा रही है। राज्यों के चुनाव उनके कार्यकाल पर आधारित होते हैं, और केंद्र सरकार का इस पर हस्तक्षेप करना गलत है।
- संविधान की मूल भावना के विपरीत:
- समाजवादी पार्टी (धर्मेंद्र यादव): यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ और तानाशाही का प्रतीक है।
- द्रमुक (टी आर बालू): विधेयक को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजने की मांग की।
- वोटिंग अधिकारों पर आक्रमण:
- कांग्रेस (गौरव गोगोई): यह विधेयक देश के मतदाताओं के अधिकारों पर हमला है।
- राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को अधिक अधिकार:
- विधेयक में राष्ट्रपति को राज्यों की विधानसभाओं को भंग करने और चुनाव आयोग को राज्य सरकारों को बर्खास्त करने का अधिकार दिया गया है, जो कई विपक्षी दलों के अनुसार गलत है।
- चुनाव सुधार के बजाय सत्ता केंद्रित कदम:
- विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक चुनाव सुधार के लिए नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की इच्छाओं को पूरा करने के लिए लाया गया है।
- संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू: सभी दलों के प्रतिनिधित्व के लिए अवसर दिया जाएगा।
- अध्यक्ष ओम बिरला: सभी दलों को विचार रखने का मौका मिलेगा।
विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक लोकतंत्र और संघवाद के खिलाफ है। उनका यह भी आरोप है कि यह विधेयक राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करने का प्रयास है। दूसरी ओर, सरकार इसे चुनाव सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बता रही है।