मुंबई में महाविकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन ने रविवार को महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ विरोध मार्च आयोजित किया। यह विरोध 17वीं सदी के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने की घटना के विरोध में किया गया था, जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा खड़ा कर दिया है।

मार्च दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक से शुरू होकर ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ तक निकाला गया, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत, और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले समेत कई नेता शामिल हुए। मार्च के दौरान हुतात्मा चौक पर शिवाजी की आवक्ष प्रतिमा के पास एकत्रित हुए लोगों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार के खिलाफ नारे लगाए और घटना की निंदा करने वाली तख्तियां उठाईं।

एनसीपी नेता शरद पवार भी इस मार्च में शामिल हुए और उन्होंने कुछ दूरी तक पैदल यात्रा की। एनसीपी के नेता राजेश टोपे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र का गौरव और आत्मा हैं, और उनकी मूर्ति का ढहना राज्य की जनता को आहत करता है। उन्होंने इस विरोध को लोकतंत्र का हिस्सा बताया और सरकार से इसे अनुमति देने की मांग की।

कांग्रेस नेता भाई जगताप ने भी इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि के रूप में जानी जाती है, और उनकी प्रतिमा के गिरने पर सरकार को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा इस घटना के समर्थन में नहीं खड़ी हो रही है, तो उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।

यह विरोध मार्च महाराष्ट्र की राजनीति में शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना को लेकर सरकार की आलोचना और विपक्ष के विरोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।