नई दिल्ली (एजेंसी)। दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने देश को विकसित बनाने का नया फॉर्मूला दिया है। शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली नगर निगम द्वारा आयोजित “शिक्षक सम्मान समारोह” को संबोधित करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर भारत 2047 तक एक विकसित देश बनना चाहता है तो एक शिक्षक का वेतन एक आईएएस अधिकारी से अधिक होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज 2047 के भारत की बहुत चर्चा हो रही है। आज यहां जो शिक्षक बैठे हैं, आपके पास जो बच्चे हैं, वे 2047 के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। 2047 का भारत इन्हीं बच्चों पर निर्भर है। लेकिन नीति निर्माताओं को भी उनके लिए कुछ करना होगा।

अपने संबोधन में सिसोदिया ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां हम हजारों-हजार साल से गुरू को भगवान का दर्जा देते आये हैं, एक शिक्षक की सैलरी किसी भी सरकारी अधिकारी से अधिक होनी चाहिए। यहां तक कि 30-35 साल के अनुभवी अध्यापक की सैलरी कैबिनेट सेक्रेटरी (जोकि 30-35 साल के अनुभवी IAS अधिकारी होते हैं) से अधिक होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि 2047 में अगर विकसित भारत का सपना सच करना है तो उसकी नींव इस पहल से रखनी होगी। किसी नेता के सपने देखने या भाषण देने से विकसित भारत का सपना सच नहीं होगा। सिसोदिया ने कहा कि शिक्षकों को भारत के समाज में वह सम्मान देना होगा जिसकी हम लगातार बात करते हैं।

समस्त कर्मचारियों में शिक्षकों की सैलरी का सबसे ऊपर होना, इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि वैसे भी विश्व के शिक्षकों के मुकाबले भारत में शिक्षकों की सैलरी काफी कम है। विश्व में कई सारे ऐसे देश हैं जहां शिक्षकों की सैलरी वहां के अधिकारियों के मुकाबले अधिक है।

जर्मनी में जहां औसतन शिक्षकों का सालाना वेतन 72 लाख है, जबकि वहां के अधिकारियों की औसतन सैलरी 71 लाख रुपये सालाना है। इसी तरह कई अन्य देश जैसे बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, जापान सहित बहुत से देशों में वहां के शिक्षकों की आय काफी अधिक है।

इसलिए अब वक्त आ गया है कि भारत के गुरुओं को सरकारी अधिकारी से अधिक वेतन देकर सम्मान दिया जाए, क्योंकि आज के स्कूलों में इन शिक्षकों के हाथों ही तो 2047 का युवा भारत तैयार हो रहा है।

सिसोदिया उत्पाद नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 17 महीने तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे। उन्हें पिछले महीने जमानत पर रिहा किया गया था।