कानपुर, तालग्राम। इलाके में किसान परंपरागत खेती छोड़कर सब्जी फसलों की ओर रुझान बढ़ा रहे हैं, और बरसात के मौसम में भिंडी की खेती बड़े क्षेत्रफल में की जा रही है। हालांकि, इस समय किसानों को भिंडी की फसल पर कीटों के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि समय रहते कीटों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
कृषि तकनीकी सहायक प्रबंधक शिवपाल सिंह ने बताया कि कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल एक प्रभावी उपाय है। इसे तीन मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने से कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। तना और फल छेदक कीटों से बचाव के लिए नीम के तेल के साथ मीडाक्लोर प्रिड और डाइक्लोरोवास को एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना भी फायदेमंद होगा।
इसके अतिरिक्त, भिंडी की फसल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सूक्ष्म तत्व मिश्रण का दो ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए। इससे गुणवत्तायुक्त फसल प्राप्त होती है, जिससे किसान बेहतर उत्पादन कर सकते हैं। इस समय, अमोलर, कैथनपुर्वा, चौतराहार, सकरवारा, सलेमपुर, पुखरायां, अतरौली, किशनपुर आदि गांवों में भिंडी की खेती करने वाले किसानों को इन तकनीकों से लाभ मिल सकता है।