कानपुर। कानपुर में इन दिनों गंगा और इसकी सहायक नदियां उफान पर हैं। पांडु नदी का पानी गांवों तक पहुंच गया है। कटरी के चौनपुरवा में सबसे ज्यादा आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है। बिठूर से चौनपुरवा तक 8 गांवों का मेन सड़क से संपर्क टूट चुका है। कानपुर साउथ में भी स्थिति बदहाल है। आलम यह है कि जिन सड़कों पर गाड़ियां दौड़ती थीं, आज वहां नाव चल रही हैं।

स्थानीय ग्रामीण सिर तक डूबकर आने-जाने को मजबूर हैं। करीब 1 हजार बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है। कानपुर के 13 गांव जलमग्न हैं। ये गांव हैं- चौनपुरवा, भोपालपुरवा, धामखेड़ा, देवनीपुरवा, नई बस्ती, मंगलपुरवा बड़ा, मंगलपुरवा छोटा, पहाड़ीपुर, कटरी शंकरपुर सराय, गंगा बैराज नई बस्ती, नत्थापुरवा, मेघनपुरवा और कल्लूपुरवा।

हम सबसे पहले भोपालपुरवा गांव पहुंचे। यहां हमसे किसान कमलेश टकराए। उनके सिर पर मवेशियों के चारे की गठरी थी। हमने जब पूछा, चाचा कहां से आ रहे हो, तो बोले- हाईवे से आ रहे हैं। मवेशी घर पर ही बंधे हैं, उनको चारा देना है। इसके बाद हम बनियापुरवा गांव पहुंचे। यहां हमें अनिल मिले। उन्होंने बताया- पानी की वजह से खेत-खलियान सब चला गया।

भगवानदीनपुरवा में बाढ़ से जीना मुहाल हो गया है। खाने-पीने तक की समस्या है। जानवरों को बाहर ले जाकर सड़क की तरफ बांधा है। घर में पानी घुस गया है। जानवरों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते हुए भोपालपुरवा गांव के निवासी गौरी कहते हैं कि फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। घर में पानी घुस गया है। लगातार पानी बढ़ रहा है। पूरी रात नजर बनाकर रखनी पड़ती है कि कहीं पानी और तो नहीं बढ़ रहा है।

बिठूर से बैराज के बीच की कटरी के गांव भगवानदीनपुरा और भोपालपुरवा की स्थिति विकट बनी हुई है। वहीं बैराज से आगे की कटरी में चौनपुरवा बाढ़ की चपेट में है। कानपुर बैराज के सभी 30 गेट पूरी तरह खोल दिए गए हैं। इससे हालात और विकट हो गए हैं।

नाव से गुजरते हुए टीम ने भोपालपुरवा गांव से भगवानदीनपुरवा तक का दौरा किया। नाव से करीब 1 घंटा पहुंचने में लग गया। यहां अधिकारी भी नाव से भगवानदीनपुरवा की तरफ बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री बांटने के लिए जाते हुए दिखे। बाढ़ का पानी करीब 10 फीट तक चढ़ा हुआ है। बीच में पड़ने वाले फार्म हाउस भी आधे से ज्यादा डूब गए हैं, और सभी में ताला लगा हुआ है।