कानपुर में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से केवल 1.08 मीटर दूर है। इसकी प्रमुख वजह हरदोई में गर्रा नदी में आए उफान से गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी है। नरौरा और हरिद्वार से कम मात्रा में पानी छोड़े जाने के बावजूद कानपुर बैराज पर पानी का दबाव बढ़ गया है। कानपुर बैराज से इस सीजन में सबसे अधिक 2.63 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिसका असर प्रयागराज और वाराणसी तक महसूस किया जाएगा। काली नदी से भी भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी जारी है।
प्रमुख बिंदु:
- जलस्तर में वृद्धि का कारण:
- हरदोई के गुसाईगंज में गर्रा नदी का पानी गंगा में मिल रहा है, जिससे गंगा का जलस्तर बढ़ गया है। यहां से 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
- कानपुर बैराज की स्थिति:
- कानपुर बैराज पर सभी 30 गेट खोल दिए गए हैं। गंगा का जलस्तर 113.300 मीटर अपस्ट्रीम और 113.200 मीटर डाउनस्ट्रीम पर रिकॉर्ड किया गया है।
- निगरानी और सुरक्षा:
- चौबीस घंटे बैराज तक आ रहे पानी की निगरानी की जा रही है। घाटों की सीढ़ियां, अटल घाट, भैरव घाट, सरसैया घाट, ड्योढ़ी घाट, और बिठूर स्थित ब्रह्माखूंटी मंदिर तक डूब गए हैं।
- गंगा का जलस्तर और डिस्चार्ज:
- शुक्लागंज में जलस्तर 111.890 मीटर पर पहुंच गया है।
- कानपुर बैराज से 2,63,941 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है।
- नरौरा से 25,060 क्यूसेक और हरिद्वार से 38,223 क्यूसेक पानी आ रहा है।
इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन और संबंधित विभाग चौबीस घंटे निगरानी कर रहे हैं और आवश्यक कदम उठा रहे हैं ताकि किसी भी संभावित आपदा से बचा जा सके।