कानपुर। हैलट अस्पताल में पहली बार ई-टेप तकनीक से हार्निया का ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया। इस नई तकनीक से हार्निया का ऑपरेशन अब दूरबीन विधि से बहुत आसानी से और कम जटिलता के साथ संभव हो गया है। इस ऑपरेशन में केवल 10 एमएम का छेद करके पूरा ऑपरेशन किया जा सकता है, जिससे मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाता है और संक्रमण का खतरा भी नहीं होता।

डॉ. विनोद जागड़ा की जानकारी: होली हार्ट हॉस्पिटल, रोहतक के डॉ. विनोद जागड़ा ने बताया कि पहले हार्निया के ऑपरेशन में पेट में बड़ा चीरा लगाना पड़ता था, जिससे मरीज को ठीक होने में तीन हफ्ते का समय लग जाता था। अब दूरबीन विधि से ऑपरेशन करने पर मरीज को तीसरे दिन ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इससे मरीज को अधिक पीड़ा नहीं होती और न हीं टांकों का लंबा निशान पेट में पड़ता है।

मोटे मरीजों के लिए वरदान: केजीएमसी लखनऊ के प्रो. अवनीश कुमार ने बताया कि पहले मोटे मरीजों का हार्निया का ऑपरेशन करना कठिन होता था, क्योंकि पेट को सीलने में काफी मुश्किलें आती थीं। लेकिन अब इस विधि से मोटे मरीजों के लिए भी ऑपरेशन आसान हो गया है।

मरीजों की संख्या और समस्याएं: हैलट अस्पताल के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जीडी यादव ने बताया कि हर महीने करीब 5 से 6 मरीज 12 सेंटीमीटर से भी अधिक बड़ी हार्निया से पीड़ित आते हैं। इससे मरीजों को चलने-फिरने, उठने-बैठने, जोर से बोलने, खाना खाने और मल त्याग करने में समस्याएं होती हैं।

ई-टेप विधि का महत्व: डॉ. जीडी यादव ने बताया कि पहले फेशियोटेंस विधि से सर्जरी की जाती थी, लेकिन अब ई-टेप तकनीक से सर्जरी की जाएगी। इस विधि में पेट की त्वचा के परतों के बीच में एक जाली लगाई जाती है, जिससे बड़े चीरे लगाने की जरूरत नहीं होती।

निजी अस्पतालों में महंगा इलाज: डॉ. यादव ने बताया कि यदि ये ऑपरेशन निजी अस्पताल में कराया जाए तो इसमें 75 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक का खर्च आता है। लेकिन अब हैलट अस्पताल में यह ऑपरेशन सस्ती और आधुनिक विधि से संभव हो गया है।