कानपुर। विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतिम दिन बुधवार को बाल रोग अकादमी कानपुर और नियोनेटोलॉजी एसोसिएशन कानपुर के संयुक्त तत्वाधान में रीना दीप हॉस्पिटल रतन लाल नगर में माताओं के लिए स्तनपान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 50 माताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन नियोनेटोलॉजी एसोसिएशन कानपुर के अध्यक्ष वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप मट्टू, रीना दीप हॉस्पिटल की डायरेक्टर व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रीना मट्टू, डॉ. अरविन्द सिंह, और सचिव डॉ. अमितेश यादव ने किया।

मां के दूध में होता है कोलोस्ट्रम

डॉ. प्रदीप मट्टू ने बताया कि आज भी केवल 50 प्रतिशत माताएं शिशु को 6 माह तक पूर्ण स्तनपान कराती हैं। उन्होंने बताया कि मां के पहले दूध में कोलोस्ट्रम पाया जाता है। कोलोस्ट्रम को शिशु की पहली वैक्सीन कहा जाता है, क्योंकि इसमें शिशु को बीमारी से बचाने के लिए एंटीबॉडीज होती हैं। शिशु को पहले घंटे के भीतर स्तनपान आरंभ कर देना चाहिए और छह माह की उम्र तक सिर्फ मां का दूध देना चाहिए, ऊपर का दूध, घूटी, शहद आदि कुछ भी नहीं देना चाहिए।

बोतल का दूध है खतरनाक

डॉ. अमितेश यादव ने बताया कि बोतल से ऊपर का दूध पिलाने से डायरिया, न्यूमोनिया, एलर्जी, दमा आदि बीमारियां होती हैं।