कानपुर। फाइलेरिया, जिसे आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है, मच्छर के काटने से होने वाला एक गंभीर रोग है, जिसका कोई इलाज नहीं है। इसके संक्रमण के लक्षण 5 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं, जिससे इसका उपचार कठिन हो जाता है। इसी के मद्देनजर जनपद में 10 अगस्त से सामूहिक दवा सेवन अभियान (एमडीए) की शुरुआत की जा रही है। इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगे। यह दवा साल में एक बार और लगातार तीन साल तक सेवन करने से फाइलेरिया के खतरे को कम किया जा सकता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. आलोक रंजन वर्मा ने उर्सला चिकित्सालय के सभागार में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में लोगों से अपील की कि वे इस दवा का सेवन जरूर करें और अपने परिवार के सदस्यों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि यह दवा फाइलेरिया के संक्रमण से बचाव करती है, जिससे हाथ और पैरों में असामान्य सूजन नहीं आती है।
संचारी रोगों के नोडल अधिकारी और एसीएमओ डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि एक वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को यह दवा खानी चाहिए। एक वर्ष से दो वर्ष तक के बच्चों को केवल पेट से कीड़े निकालने की दवा दी जाएगी, जबकि इससे अधिक उम्र के लोग तीन प्रकार की दवा का सेवन करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती माताओं और अति गंभीर बीमार व्यक्तियों को यह दवा नहीं खानी है। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है और इसे स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने ही खाना होगा।
इस अभियान का उद्देश्य जनपद में फाइलेरिया के प्रसार को रोकना और लोगों के भविष्य को सुरक्षित करना है। सीएमओ ने लोगों से इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने और फाइलेरिया से सुरक्षित रहने का आग्रह किया।