कानपुर, उत्तर प्रदेश — उत्तर प्रदेश के कई जिलों में चिकन पॉक्स के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। कानपुर में भी चिकन पॉक्स के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है। डॉक्टर्स को अलर्ट मोड पर रहने और लक्षण दिखने वाले मरीजों को आइसोलेट करने की सलाह दी गई है।
चिकन पॉक्स के कारण और लक्षण
कानपुर मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. डीपी शिवहरे ने बताया कि यह रोग वेरीसेला जोस्टर नामक वायरस के कारण होता है। इस वायरस के कारण मरीज के पूरे शरीर में दाने और छाले हो जाते हैं। यह एक संक्रमित बीमारी है, जो हवा और खांसी के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। इसलिए, इस रोग से बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है।
चिकन पॉक्स के प्रमुख लक्षण
- दाने और छाले: मरीज के शरीर पर छाले की तरह दाने पड़ जाते हैं।
- बुखार और सिरदर्द: मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी और कमजोरी महसूस होती है।
- लाल दाने: शरीर में निकलने वाले लाल दानों में पानी भर जाता है।
- सर्दी और दर्द: बुखार और सर्दी-जुकाम के साथ शरीर में सुस्ती और दर्द बना रहता है।
संक्रमण का फैलाव
हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग, चर्म रोग विभाग और बाल रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना 10 से 15 मरीज चिकन पॉक्स के लक्षणों के साथ आ रहे हैं। प्रो. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि चिकन पॉक्स वायरल इंफेक्शन है, जो पानी के माध्यम से भी फैल सकता है। यह एक छुआछूत वाली बीमारी है, जो अनियंत्रित होने पर दिमाग और लिवर तक प्रभावित कर सकती है।
बचाव के उपाय
- स्वच्छता: शरीर को साफ और स्वच्छ रखें।
- संक्रमित जगहों से बचाव: संक्रमित जगहों पर जाने से बचें।
- नीम की पत्ती का उपयोग: बाल्टी में नीम की पत्ती डालकर नहाएं।
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं, खासकर बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं से।
- संतुलित आहार: मरीज को अधिक तेल और मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
चिकन पॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक संक्रमित बीमारी है, जिससे बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है। सही समय पर निदान और उचित देखभाल से चिकन पॉक्स के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।