किसी ने साहित्य, तो किसी ने लोकनृत्य से बांधा समां, हेमंत पांडेय ने लगवाए ठहाके
कानपुर। आईआईटी कानपुर ने गाथा के 5 वर्ष पूरे होने की खुशी में सोमवार को ‘गाथा महोत्सव 2024’ का आयोजन किया। राजभाषा प्रकोष्ठ (हिंदी सेल), शिवानी केंद्र फॉर द नर्चर एंड री-इंटीग्रेशन ऑफ हिंदी, अदर इंडियन लैंग्वेजेज और हिंदी साहित्य सभा ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की मेजबानी की। कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईटी कानपुर के उप निदेशक प्रो. ब्रज भूषण, प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय ने दीप प्रज्वलित कर किया। इसमें एसआईआईसी के सह-प्रोफेसर प्रभारी, अकादमिक मामलों के डीन प्रो. शलभ, अंतर्राष्ट्रीय संबंध की डीन राजभाषा प्रकोष्ठ (हिंदी प्रकोष्ठ) के प्रो. अर्क वर्मा, गाथा की सह-संस्थापक और निदेशक पूजा श्रीवास्तव और कविता प्रकोष्ठ की निदेशक डॉ. भावना तिवारी ने भी हिस्सा लिया।
गाथा हिन्दी साहित्य के उत्थान के लिए उत्कृष्ट योगदान दे रहा
उप निदेशक प्रो. ब्रज भूषण ने कहा कि गाथा हिन्दी साहित्य के उत्थान के लिए उत्कृष्ट योगदान दे रहा है। गाथा का बढ़ता यूजर बेस लोगों में कविता के प्रति नए संस्कार रोपित कर रहा है। कार्यक्रम में ज्योति बधिर विद्यालय के छात्रों द्वारा सुंदर प्रस्तुति देते हुए गणेश वंदना और नृत्य नाटिका से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पुस्तक का किया लोकार्पण
कार्यक्रम में संजय शेफर्ड की पुस्तक ‘एक स्याह फिरदौस’ का मंच पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया। इसके बाद ज्योति बधिर विद्यालय और कानपुर प्लॉगर्स को उनके उत्कृष्ट सामाजिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इसके बाद डॉ. प्रदीप दीक्षित के संचालन में पहले सत्र में उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर विस्तृत चर्चा हुई। प्रसिद्ध लेखक और ट्रैवल ब्लॉगर संजय शेफर्ड ने दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. एमके पांडेय के साथ मिलकर राज्य में पर्यटन को लेकर रुचि और आगामी संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की।
हिंदी काव्य विधा पर हुई चर्चा
दूसरे सत्र में हिंदी काव्य विधा नवगीत पर विस्तृत चर्चा हुई। इसमें हिंदी काव्य के प्रसिद्ध व वरिष्ठ नवगीतकार राम सनेही लाल शर्मा, वीरेंद्र आस्तिक और राजा अवस्थी ने गीत और नवगीत के बीच की बारीकियों और भिन्नताओं पर विस्तृत चर्चा की। इस सत्र का संचालन सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राकेश शुक्ला ने किया। तीसरे सत्र में प्रख्यात युवा लेखक भगवंत अनमोल और आकांक्षा पारे ने नए रचनाकारों और युवाओं के लिए साहित्य में अवसरों पर चर्चा की। कहकशां फाउंडेशन के संस्थापक आनंद कक्कड़ ने इस सत्र का संचालन किया। चौथे सत्र में युवा प्रतिभाओं के लिए ओपन माइक का आयोजन किया गया, जिसका संचालन पल्लवी गर्ग ने किया। कविता पाठ में प्रियम दीक्षित, अमित पांडेय, अंशुल अवस्थी, शुभम तिवारी, आकाश ओझा, अक्षय मिश्रा और इम्तियाज अहमद समेत सात कवियों ने हिस्सा लिया।
कविता सुनाकर किया मंत्रमुग्ध
काव्य पाठ के दौरान लखनऊ से आए योगेश शुक्ला ने कविता पढ़ी- ‘घेरे हों जिंदगी में अगर, मुश्किलें तमाम सुबहो शाम, तो टकराओ मुश्किलों से लेके राम जी का नाम, सुबह हो या शाम।’ डॉ. आलोक बेजान ने अपनी प्रस्तुति में सुनाया- ‘जमींदरी को गुजरे एक अरसा हो गया कब का, मगर जिल्ले इलाही ने हवेली पाल रखी है।’ हेमंत पांडेय ने अपनी हास्य कविताओं से सभी का मनोरंजन किया। वहीं, मुरादाबाद के राहुल शर्मा की गजलों पर पूरे सभागार में तालियां बज उठीं। अजय अंजाम ने शक्तिशाली पंक्ति साझा की- ‘ठंड की इमदाद पाली जा रही है, जून में खेत को पानी मिला है फसल मुरझाने के बाद।’