कानपुर, तालग्राम। ब्लॉक तालग्राम-जलालाबाद में सिंचाई के लिए 161 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही सतही सिंचाई डार्कजोन परियोजना का काम पिछले साढ़े आठ साल से अधूरा पड़ा है, जिससे किसान निराश हैं। नहर से निकलने वाले माइनर और पुलिया भी अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। जिन किसानों की जमीनें इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई थीं, वे भी निराशा में हैं, क्योंकि परियोजना का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
बारिश न होने के कारण हजारों एकड़ भूमि पर खड़ी धान और मक्का की फसलें प्रभावित हो रही हैं। इसके अलावा, समुचित बिजली आपूर्ति न होने से भी किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है। भूगर्भ जलस्तर में कमी के कारण तालग्राम और जलालाबाद ब्लॉक को डार्कजोन घोषित किया गया था, और इन क्षेत्रों में नलकूप बोरिंग पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
किसानों की समस्याओं को देखते हुए, 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मैनपुरी के बेवर से कन्नौज के जलालाबाद तक सतही नहर डार्कजोन परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसके लिए 161 करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की गई थी। नहर का विस्तार छिबरामऊ, मिघौली, डिबाई से तालग्राम के अतरौली, बिरौली, तेरारब्बू तक और जलालाबाद के नरायनपुर गांव के बरसाती नाले तक किया गया था, जो काली नदी में मिलती है।
परियोजना की प्रगति में पहले किसानों की जमीन अधिग्रहण और वन विभाग की जमीन की बाधाएं आईं। किसानों को मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की गई, और काम शुरू हुआ। लेकिन सरकार बदलने के बाद बजट की समस्या के कारण परियोजना अधूरी रह गई। बरसात से पहले आधी-अधूरी नहर में पानी छोड़ा गया, जिससे किसानों की फसलें डूब गईं और उन्हें नुकसान हुआ।
इस अधूरे काम के कारण किसान बेहद निराश हैं, और उनकी फसलें प्रभावित हो रही हैं।