नई दिल्ली, एजेंसी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तथा आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण का कारण बनने वाली पराली से जैव बिटुमेन, बायो सीएनजी, बायो गैस और हवाई ईंधन बनाया जा रहा है।
गडकरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के उत्तर में कहा कि सरकार की नीतियों और नयी योजनाओं से देश का किसान अब केवल अन्नदाता नहीं है, ऊर्जादाता भी है और केवल ऊर्जादाता ही नहीं, बिटुमेनदाता है और केवल बिटुमेनदाता ही नहीं, हवाई ईंधन दाता भी है। उन्होंने कहा कि एक टन पराली से 30 प्रतिशत जैव बिटुमेन, 350 किलो बायो गैस और 350 किलो बायोचाप बनायी जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस बिटुमेन का इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जा रहा है। देश में 90 प्रतिशत सड़कों के निर्माण में अभी 88 लाख टन जैव बिटुमेन का इस्तेमाल किया जाता है और अगले वर्ष तक यह 100 लाख टन पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अभी 50 प्रतिशत बिटुमेन का आयात किया जा रहा है जिस पर 25 से 30 हजार करोड़ रुपये की लागत आती है।
उन्होंने कहा कि अभी देश में पराली से बायो सीएनजी भी बनायी जा रही है। देश भर में इस तरह की 450 परियोजनाएं हैं, जिनमें यह कार्य किया जा रहा है और इनमें से अधिकतर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हैं। देश में पराली से प्रतिवर्ष एक लाख लीटर इथेनॉल बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पराली से जैव हवाई ईंधन बनाने की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है और अगले पांच वर्षों में जैव हवाई ईंधन की मात्रा 20 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार की नीतियों का ही नतीजा है कि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पराली से मिलने वाले बायोचाप का इस्तेमाल जैव उर्वरक के रूप में किया जा सकता है और इससे किसानों की उपज बढ़ेगी।
इसके अलावा किसानों को एक टन पराली के लिए ढाई हजार रुपये दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि ये सभी तकनीक किसानों के साथ-साथ देश की ऊर्जा जरूरतों तथा ढांचागत निर्माण परियोजनाओं के लिए भी बहुत उपयोगी हैं। उन्होंने कहा कि इससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर खर्च होने वाले 16 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक बोझ में भी कमी आयेगी।