नरवल। कानपुर शहर से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर स्थित शीशुपुर-सगुनपुर गांव में सैकड़ों साल पुराना प्राचीन वनखण्डेश्वर महादेव मंदिर स्थापित है। सावन के दूसरे सोमवार को आसपास समेत दूर-दूर से शिवभक्त सुबह से मंदिर में पहुंचकर वनखण्डेश्वर बाबा का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं। चारों ओर हर-हर महादेव के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो जाता है।

शिव मंदिर का इतिहास: नरवल तहसील कार्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर शीशुपुर-सगुनपुर गांव में सैकड़ों साल पुराना शिव मंदिर स्थापित है। शिव भक्त अजय प्रताप सिंह ने बताया कि बुजुर्ग बताते हैं कि सैकड़ों साल पहले मंदिर के स्थान पर एक बहुत घना जंगल हुआ करता था। जंगल में आम, इमली, नीम आदि के पेड़ लगे हुए थे। आसपास गांव के लोग उसी जंगल में जानवर चराने जाया करते थे। जंगल में एक गाय रोज अपना दूध एक नियत स्थान पर गिराकर चली जाती थी। एक दिन चरवाहे ने यह दृश्य देख लिया। उसने यह बात बुजुर्गों को बताई।

जिसके बाद ग्रामीणों ने उसी स्थान की खुदाई कराई तो वहां पर एक शिवलिंग मिला। कहा जाता है कि एक राजा शिवलिंग को अपने दरबार में स्थापित करने के लिए सालों तक प्रयत्नशील रहे, परंतु सफल नहीं हो सके। वन के बीच शिवलिंग होने से भक्तों ने मंदिर का नाम वनखण्डेश्वर महादेव रख दिया।