इंदौर, एजेंसी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने धार जिले में स्थित भोजशाला का सर्वे पूरा कर अपनी दो हजार पेज की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच को सौंप दी है। अब 22 जुलाई को इस मसले पर सुनवाई होगी।
मुख्य बिंदु
- सर्वे के निष्कर्ष: हिंदू पक्ष के वकील का दावा है कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करते हैं कि यहां मंदिर था।
- एएसआई का आदेश और विवाद: 11 मार्च को हाईकोर्ट ने एएसआई को आदेश दिया था कि वह छह हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। एएसआई ने रिपोर्ट सौंपने के लिए समय मांगा था और तीन बार समय बढ़ाया गया। अंततः 15 जुलाई को रिपोर्ट सौंप दी गई।
- हिंदू और मुस्लिम पक्ष: हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। 2003 में एएसआई ने आदेश जारी कर हिंदुओं को केवल मंगलवार को और मुस्लिमों को केवल शुक्रवार को प्रवेश की अनुमति दी थी।
- खुदाई और साक्ष्य: एएसआई ने कार्बन डेटिंग, जीपीएस और अन्य तकनीक का उपयोग करते हुए सर्वे किया और भोजशाला के बड़े हिस्से में खुदाई भी की। दावा किया गया है कि खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियों के अवशेष और धार्मिक चिह्न मिले हैं।
- सुप्रीम कोर्ट की स्थिति: सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया था कि साइंटिफिक स्टडी करते समय भोजशाला के भौतिक ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस पर कोई निर्णय लेने से भी रोक रखा है।
हिंदू पक्ष का दावा और योजना
हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस के वकील एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट ने उनके केस को मजबूत किया है। उनका दावा है कि यह परिसर एक हिंदू मंदिर का है और इसका इस्तेमाल मस्जिद की तरह हो रहा है। 2003 में एएसआई का आदेश पूरी तरह गलत था और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है। वकील हरि शंकर जैन ने भी कहा कि हिंदू जनता सदियों से धार में पूजा करने के लिए तरस रही थी और इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण सफलता मिली है।
आगे की प्रक्रिया
अब हिंदू पक्ष एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जाने की योजना बना रहा है। 22 जुलाई को हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी, और यह देखना होगा कि कोर्ट इस रिपोर्ट के आधार पर क्या निर्णय लेता है।
भोजशाला का यह विवाद वर्षों से चल रहा है और इस पर अदालत का अंतिम निर्णय महत्वपूर्ण होगा। रिपोर्ट के निष्कर्ष और दोनों पक्षों की दलीलें अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाएंगी और न्यायपालिका का निर्णय ही इस विवाद को समाप्त कर सकेगा।