अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई पूरी हो गई है, और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुईया की बेंच के सामने था। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक इस पर फैसला सुरक्षित रखा है, जो अगले हफ्ते तक आ सकता है।
अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं, जिसमें उन्होंने कहा कि सीबीआई की प्राथमिकी में केजरीवाल का नाम नहीं था। सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि अरविंद केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं, और उनके भागने का कोई जोखिम नहीं है।
सिंघवी ने आगे यह भी कहा कि सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया और जब उन्हें ईडी मामले में जमानत मिली तो उनकी गिरफ्तारी “बीमा गिरफ्तारी” के रूप में की गई। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने केजरीवाल को कोई नोटिस नहीं दिया और अधीनस्थ अदालत ने एकपक्षीय आदेश पारित किया।
सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने अरविंद केजरीवाल की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को जमानत के लिए अधीनस्थ अदालत जाना चाहिए। एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने केजरीवाल को नोटिस इसलिए नहीं दिया क्योंकि वह पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को जमानत देता है तो इससे दिल्ली उच्च न्यायालय का मनोबल गिरेगा।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है, जो संभवतः अगले हफ्ते आएगा।