चौपाल संवाद, फतेहपुर: सोमवार को ऑनलाइन हाजिरी एवं शासन के पास लंबित पड़ी मांगों को पूरा किए जाने के लिए शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन देखा गया। बीएसए कार्यालय परिसर में परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों का सैलाब उमड़ पड़ा, जिससे विभाग के हाथ-पैर फूलते नजर आए। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने संयुक्त रूप से धरना प्रदर्शन किया और पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया।

विरोध प्रदर्शन की शुरुआत: बीएसए कार्यालय परिसर में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष अदीप सिंह, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला महामंत्री विजय त्रिपाठी, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह समेत अन्य संगठनों के बैनर तले शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया और ऑनलाइन हाजिरी के आदेश को अव्यवहारिक बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आदेश वापस नहीं लिया गया तो और तेज आंदोलन करेंगे।

शिक्षकों का विरोध: शासन द्वारा परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी का आदेश दिया गया है, जिसका शिक्षक लगातार विरोध कर रहे हैं। सोमवार को स्कूलों के अवकाश के बाद शिक्षकों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर एकत्रित होकर जमकर नारेबाजी की और ऑनलाइन अटेंडेंस के आदेश का विरोध किया।

ज्ञापन सौंपा: प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने इस आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की। उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा और कलेक्ट्रेट पर भी जमकर नारेबाजी की।

आंदोलन का जारी रहना: शिक्षकों ने स्पष्ट किया कि जब तक शासन उनकी सभी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेता, तब तक ऑनलाइन हाजिरी का विरोध जारी रहेगा। प्रदेशीय नेतृत्व के निर्देशानुसार ट्विटर अकाउंट के माध्यम से भी विरोध दर्ज कराया जा रहा है।

ट्विटर अभियान: प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष के आह्वान पर शिक्षकों ने रविवार को ट्विटर (एक्स) पर अभियान चलाया। इस अभियान में सैकड़ों शिक्षकों ने भाग लिया और केवल एक घंटे में ही हैज टैग इंडिया पर नंबर वन ट्रेंड होने लगा, और कुछ ही देर में 10 लाख पार कर गया।

जीटी रोड पर जाम: बीएसए कार्यालय परिसर में शिक्षकों के उमड़े सैलाब से जीटी रोड करीब दो घंटे तक जाम रहा। डीआईओएस कार्यालय से लेकर जिला अस्पताल, पुरानी तहसील होते हुए बीएसए कार्यालय को जाने वाले मार्ग पर शिक्षक और उनके वाहनों का कब्जा रहा, जिससे अन्य लोग जाम में फंसकर परेशान होते रहे।

यह विरोध प्रदर्शन शिक्षकों की समस्याओं और मांगों को शासन तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम था। शिक्षक संगठनों की मांग है कि उनके अधिकारों और सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाए, ताकि वे अपने कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकें।