मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य सिविल सेवकों की कार्यकुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने पर केंद्रित है, ताकि वे देश की सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकें।
लखनऊ (एजेंसी)। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की क्षमता निर्माण (कैपेसिटी बिल्डिंग) को सुधारना और उन्हें भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार कुशल बनाने के लिए पीएम मोदी द्वारा शुरू किए गए मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभा रहा है। पीएम मोदी के विजन के अनुरूप और सीएम योगी के नेतृत्व में प्रदेश में तैनात ज्यादा से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इसके फलस्वरूप कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए स्थापित इंटीग्रेटेड गवर्नमेंट ऑनलाइन ट्रेनिंग (आईजीओटी) पोर्टल में 94 हजार से ज्यादा सरकारी कर्मचारी और अधिकारी ऑनबोर्ड या रजिस्टर्ड हो चुके हैं। वहीं, 45 हजार से ज्यादा ने पाठ्यक्रम में अपना नामांकन कराया है, जिसमें करीब 29 हजार ने कोर्स पूरा कर लिया है। इनमें करीब 6 हजार अधिकारी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि 2 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘मिशन कर्मयोगी’ को शुरू करने की मंजूरी प्रदान की थी। हाल ही में मुख्य सचिव के समक्ष उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट (यूपीएएएम) के प्रस्तुतिकरण में मिशन कर्मयोगी में उत्तर प्रदेश की भागीदारी की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम का प्रबंधन:
- यूपीएएएम के डीजी वेंकटेश्वर लू और अपर निदेशक सुनील कुमार चौधरी ने प्रस्तुतिकरण दिया।
- 43 विभागीय नोडल अधिकारी नामित किए जा चुके हैं।
- 45 हजार से ज्यादा कोर्स इनरोलमेंट के साथ 28,881 ने कोर्स कंप्लीट किया है।
- योगी सरकार ने कर्मचारी टू कर्मयोगी अभियान के माध्यम से वर्कशॉप्स का आयोजन किया।