कानपुर। कानपुर के सिविल लाइन स्थित नजूल की करीब 1 हजार करोड़ रुपए की जमीन पर 10 सालों से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस दौरान 7 बार जिले के डीएम बदले गए, लेकिन किसी ने भी इस मामले में संज्ञान नहीं लिया। अब जब मामले में हंगामा हुआ और बवाल हुआ, तब प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। मामले में शासन को आखिरी रिपोर्ट 23 सितंबर 2014 को तत्कालीन जिलाधिकारी रोशन जैकब ने दी थी। इसके बाद यह पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
डॉ. रोशन जैकब के बाद जिले में कौशल राज शर्मा, सुरेंद्र सिंह, ब्रह्मदेव राम तिवारी, आलोक तिवारी, विजय विश्वास पंत, विशाख जी अय्यर, नेहा शर्मा, विशाख जी के बाद, अब राकेश कुमार सिंह के पास चार्ज है।
2012 में नजूल की जमीन की लीज खत्म हुई। लेकिन तीन लोगों ने दावेदारी की, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। डीएम राकेश कुमार सिंह के मुताबिक- इस जमीन को 12 साल पहले ही राज्य सरकार में निहित हो जाना चाहिए था।
रिपोर्ट के मुताबिक मामले में दोनों पक्षों को सुना गया था और दोनों ने ही अपने-अपने पक्ष में साक्ष्य उपलब्ध कराए थे। 12 सितंबर 2014 को प्रथम पक्ष से किरन सैमुअल, एना लॉरेंज, एस्तर अमन और एनजीओ कॉर्डिनेटर नीरू सिंह ने अपने बयान दर्ज कराए थे। इसके अलावा दूसरे पक्ष की तरफ से पादरी मौरिसन मसीह और कमला एरियर पेश हुई थीं और जिलाधिकारी के सामने अपना पक्ष रखा था।
रिपोर्ट के मुताबिक- दोनों पक्षों को सुनने के बाद साक्ष्यों के आधार पर भूखंड संख्या 69, 69 ए और 69 बी को नजूल की संपत्ति ही माना गया और किसी को भी लीज न होने की बात कही गई। मामले में 17 अक्टूबर 2010 को भी एसडीएम सदर ने नजूल की संपत्ति होने की बात जांच के बाद कही थी और किसी भी विक्रय न किये जाने की संस्तुति की थी।
प्रशासक की तैनाती:
उक्त जमीन पर विवाद बढ़ता देख तत्कालीन जिलाधिकारी ने डीआईओएस को स्कूल में बतौर प्रशासक तैनात किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक फ्री होल्ड नहीं की गई जमीन:
सिविल लाइंस स्थित नजूल की जमीन पर की गईं रजिस्ट्रियां और इकरारनामा पूरी तरह से अवैध् मानी गई हैं।
अन्य सरकारी संपत्तियों की समस्या:
सरकार कई वर्षों से शहर में स्थित ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन (बीआईसी) और नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन (एनटीसी) मिलों की संपत्तियों को बेचने की तैयारी कर रही है। लेकिन सरकार के लिए संपत्तियों को बेच पाना इतना आसान नहीं हो पा रहा।
कानपुर में जमीनों का क्षेत्रफल और विवाद:
एनटीसी की लक्ष्मी रतन कॉटन मिल की करीब 63 एकड़ जमीन पर कई लोगों का अवैध कब्जा है। इस जमीन को खाली कराना भी प्रशासन के लिए चुनौती से कम नहीं होगा।
इस प्रकार, कानपुर में नजूल की जमीन पर कब्जे और उसकी जांच की प्रक्रिया में विफलताओं की कहानी स्पष्ट रूप से प्रशासनिक अनदेखी और व्यावसायिक लाभ के कारण उत्पन्न हुई जटिलताओं का परिणाम है। समयबद्ध और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता स्पष्ट है।