कानपुर। भारतीय बालरोग अकादमी कानपुर द्वारा विश्व ओआरएस सप्ताह के अंतर्गत सोमवार को मरियामपुर हॉस्पिटल, सरोजनी नगर में डायरिया पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 50 नर्सिंग स्टाफ व माताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सीएस गांधी, डॉ. जेएस नारंग व डॉ. अमितेश यादव ने किया।
27 प्रतिशत माताएं ओआरएस देती हैं: डॉ. सीएस गांधी ने बताया कि आज भी भारत में केवल 27 प्रतिशत माताएं बच्चे को डायरिया होने पर ओआरएस देती हैं, जबकि 62 प्रतिशत माताएं ओआरएस के संदर्भ में जानती तक नहीं हैं। उन्होंने ने बताया कि मां के दूध पीने वाले बच्चों में डायरिया कम होता है। डायरिया के बाद 14 दिन तक लगातार जिंक देने से डायरिया जल्दी ठीक हो जाता है और भविष्य में दोबारा जल्दी नहीं होता है। बच्चों के पहले दस्त से ही उन्हें ओआरएस प्रारंभ कर देना चाहिए।
ओआरएस एक तरह की थेरेपी: डॉ. जेएस नारंग ने बताया कि ओआरएस एक तरह की थेरेपी है जो कि दस्त को रोकने के लिए डिहाइड्रेशन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। ओआरएस का घोल डिहाइड्रेशन में पानी की कमी को पूरा करता है। डॉ. अमितेश यादव ने ओआरएस कैसे बनाया जाता है, इसकी विधि बताई और ओआरएस के विषय में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर मरियामपुर की सिस्टर भी मौजूद रहीं।