कानपुर। कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की पड़ताल करने के लिए दैनिक भास्कर टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। टीम ने कानपुर की घाटमपुर, बिधनू, पतारा, और भीतरगांव के चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया, जहां पिछले चार महीनों से सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) जांच बंद मिली। सरकार एक ओर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है, वहीं जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

प्राइवेट लैब संचालक और ब्लड कलेक्शन सेंटर वाले सीबीसी जांच के ऐवज में मरीजों से 500 से 700 रुपए तक वसूल रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर सीबीसी जांच लिख रहे हैं, लेकिन सीएचसी में जांच की सुविधा न होने के कारण मरीजों को प्राइवेट लैब में जांच कराने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

घाटमपुर सीएचसी पर एक मरीज अजय ने बताया कि वह एक महीने से आ रहे हैं, लेकिन उनकी सीबीसी जांच नहीं हो पा रही है, जिसके कारण उन्हें प्राइवेट लैब में 500 रुपए देकर जांच करानी पड़ी। भीतरगांव सीएचसी में लैब टेक्नीशियन जितेंद्र ने बताया कि रिजेंट और मशीन में खराबी के कारण जांच बंद है।

पतारा सीएचसी में लैब टेक्नीशियन अरविंद ने बताया कि लगभग चार महीने से सीबीसी मशीन का रिजेंट खत्म है, जिसके चलते मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। बिधनू सीएचसी में लैब टेक्नीशियन बच्चूलाल ने बताया कि रोल और रिजेंट खत्म होने के कारण जांच बंद है। कानपुर के चारों सीएचसी में प्रतिदिन लगभग 500 मरीज वापस लौट जाते हैं।

सीबीसी जांच न होने की जानकारी मिलते ही प्राइवेट लैब संचालकों ने अपने रेट बढ़ा दिए हैं। लैब संचालक सीबीसी जांच के ऐवज में 200 से 700 रुपए तक वसूल रहे हैं। पतारा के चिकित्साधीक्षक डॉ. अभिषेक कटियार ने बताया कि सीबीसी मशीन का रिजेंट खत्म हो चुका है, कई बार डिमांड भेजी गई है, लेकिन अब तक रिजेंट नहीं मिला है।