लाल इमली मिल के पुनर्जीवन की चुनौती और उम्मीदें

कानपुर: वर्षों से बंद पड़ी लाल इमली मिल को फिर से चालू करने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि मिल को फिर से शुरू कराकर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान किया जाएगा। हालांकि, मिल के अधिकारियों का कहना है कि इसे चालू करना आसान नहीं होगा और इसमें कई चुनौतियां होंगी।

मिल की आवश्यकताएं और चुनौतियां:

मिल को पुनः चालू करने के लिए कम से कम तीन से चार हजार नई भर्तियों की आवश्यकता होगी, और इसके लिए चार सौ करोड़ रुपये के पैकेज की जरूरत होगी। वर्तमान में मिल में दो सौ से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी हैं, जो सेवानिवृत्ति की उम्र के करीब हैं। मिल में स्विटजरलैंड से आई छह मशीनें भी मौजूद हैं, जिनकी पैकिंग तक नहीं खोली गई है, और इनके खराब होने का अंदेशा है।

इतिहास और वर्तमान स्थिति:

लाल इमली मिल की स्थापना अंग्रेजी शासन काल में 1876 में की गई थी। 26 एकड़ में फैली इस मिल में प्रतिदिन तीन पाली में 8000 से अधिक श्रमिक काम करते थे। 1989 से मिल में कोई नई भर्ती नहीं हुई। मिल के उत्पादों की गुणवत्ता के कारण इसे कई पुरस्कार भी मिले हैं। 2009 से मिल का उत्पादन कम हो गया और मिल धीरे-धीरे बंद हो गई। मिल में लगी स्विटजरलैंड की 12 मशीनें भी खराब हो चुकी हैं।

मिल के पुनः चालू होने पर कानपुर के परेड, सीसामऊ और ग्वालटोली बाजार फिर से गुलजार हो सकते हैं। शहर के थोक कपड़ा बाजारों में लाल इमली मिल के उत्पादों की मांग बढ़ सकती है। इसके साथ ही, मिल की ऐतिहासिक घड़ी, जो कई वर्षों से बंद है, फिर से चालू हो सकती है।

लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि मिल चालू करने की घोषणा से कर्मचारियों में खुशी की लहर है। श्रमिक नेता राजेश कुमार शुक्ला ने कहा कि यदि मिल चली तो लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं, एटक कानपुर के सचिव असित कुमार सिंह ने कहा कि यदि मिल चालू होती है तो यह एक अच्छा कदम होगा, लेकिन पूर्व में भी कई रिवाइवल प्लान बने और भ्रष्टाचार हुआ।

लाल इमली मिल को पुनः चालू करने की घोषणा स्वागत योग्य है, लेकिन इसे अमल में लाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यदि यह मिल चालू होती है, तो यह कानपुर के कपड़ा उद्योग के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।