ईरान और हिंदुस्तान: दोस्ती के तकाजों के बीच खामेनेई के भारत पर आरोप के पीछे असल मंशा क्या?
अजय बोकिल
ईरान और भारत के बीच अच्छे रिश्तों के बाद भी ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई द्वारा मुसलमानों को प्रताड़ित किए जाने वाले देशों की सूची में भारत का नाम लेना सभी के लिए चौंकाने वाला है, वह भी तब कि जब ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए कठोर आर्थिक प्रतिबंधों की परवाह किए बगैर भारत ने ईरान से व्यापारिक रिश्ते न सिर्फ कायम रखे, बल्कि उन्हें मजबूती दी है।
ज्यादा हैरानी की बात यह है कि कथित मुस्लिम प्रताड़ना वाले देशों में उन्होंने उस चीन का नाम नहीं लिया है, जहां उइगुर मुसलमानों को नमाज पढ़ने और रोजे रखने तक की इजाजत नहीं है और जिनका बेखौफ चीनीकरण किया जा रहा है। तो क्या खामेनेई का भारत पर आरोप लगाना भारत के साथ अपने रिश्तों को बिगाड़ने की सोची समझी चाल है, भारत के साथ ईरान की एहसान फरामोशी है या फिर ऐसे बयान देकर खुद को दुनिया में मुसलमानों का एकमात्र नेता साबित करने की मंशा है?
गौरतलब है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई ने पैगम्बर मोहम्मद के जन्म दिन पर आरोप लगाया कि भारत में मुस्लिम पीड़ित हैं। खामेनेई ने 16 सितंबर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए भारत को उन देशों में शामिल किया, जहां मुस्लिमों को पीड़ा झेलनी पड़ रही है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने तत्काल कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम खामेनेई के बयान की निंदा करते हैं। यह अस्वीकार्य और पूरी तरह से भ्रामक है।
भारत की प्रतिक्रिया और ईरान विदेश मंत्रालय ने कहा कि अल्पसंख्यकों के मामले पर कमेंट करने वाले देशों को पहले अपने रिकॉर्ड को देखना चाहिए।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि जब खामेनेई भारतीय मुसलमानों के खैरख्वाह बने हैं। खामेनेई ने 2020 के दिल्ली दंगों के बाद कहा था कि भारत में मुस्लिमों का नरसंहार हुआ है। भारत सरकार को कट्टर हिंदुओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। सरकार को मुस्लिमों का नरसंहार बंद करना होगा, नहीं तो इस्लामी दुनिया उनका साथ छोड़ देगी। कश्मीर के मुद्दे पर भी खामेनेई कई बार विवादित बयान देते आए हैं। साल 2017 में खामेनेई ने कश्मीर की तुलना गाजा, यमन और बहरीन से की थी।
इन सबके बावजूद भारत ने ईरान के साथ अपने व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों में खामेनेई के बयानों और ईरान के रवैये को आड़े नहीं आने दिया और ईरान के साथ अपने ऐतिहासिक रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आपसी संबंध बेहतर बनाने पर ही जोर दिया है।
खामेनेई का भारतीय अल्पसंख्यक मुस्लिमों के प्रति प्रेम सही भी हो सकता था, अगर खुद ईरान में अल्पसंख्यकों के साथ मानवीय व्यवहार होता। मुस्लिम भाईचारे के तमाम दावों के बाद जमीनी हकीकत यह है कि आज दुनिया में सर्वाधिक मारकाट मुस्लिम देशों और कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के बीच ही हो रही है।
खुद ईरान में अल्पसंख्यक सुन्नियों, बहाइयों, पारसियों और कुर्दों के साथ क्या व्यवहार होता है, यह दुनिया जानती है। बहाइयों को तो वहां कब्रिस्तान भी नसीब नहीं होते।
खामेनेई के बयान के पीछे भारत और सउदी अरब के मधुर रिश्ते भी एक कारण हो सकते हैं।