कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप ने लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए वादों और रियायतों की झड़ी लगा दी है। ट्रंप ने टिप्स और सामाजिक सुरक्षा को करों से मुक्त करने, बाल कर क्रेडिट का विस्तार करने और निजी विश्वविद्यालयों पर कर लगाने का वादा किया है। कमला ने टिप्स को करों से मुक्त करने, बाल और अर्जित आय कर क्रेडिट का विस्तार करने, पहले घर की खरीद पर धन देने और आवास के लिए अन्य प्रोत्साहन देने का वादा किया है।

शंकर अय्यर
इन दिनों अमेरिका की उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला देवी हैरिस जब रैलियों में पहुंचती हैं, तो मशहूर अमेरिकी गायिका बियोंसे के गीत “फ्रीडम” की धुन के साथ चिर-परिचित नारा गूंजता है—”जब हम लड़ते हैं, तो जीतते हैं।” छह हफ्ते से कुछ पहले राजनीतिक पंडितों ने ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी की थी। ट्रंप ने भी इसे पूर्वनिर्धारित निष्कर्ष मान लिया था, लेकिन तबसे जो भी गलत हो सकता था, हुआ।

हैरिस के पूरे अभियान के पीछे रिपब्लिकन पार्टी के उदारवादी नेताओं (रॉकफेलर रिपब्लिकन), ट्रंप से असंतुष्ट लोगों और तटस्थ मतदाताओं को आकर्षित करने की सोची-समझी रणनीति दिखती है। उन्होंने अपने अभियान को पुनर्परिभाषित करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदों को पुनर्जीवित किया है। अब उनकी जीत संभव दिख रही है। जनमत सर्वेक्षणों में उन्होंने ट्रंप पर तीन पॉइंट की बढ़त हासिल की हुई है और सात चुनावी प्रांतों में से वह चार में आगे हैं।

आज फिलाडेल्फिया में होने वाली राष्ट्रपति पद की बहस दोनों उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण क्षण है। कमला ने एक गैर-प्रदर्शनकारी उपराष्ट्रपति होने के आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने बाइडन प्रशासन की विफलताओं से दूरी बनाते हुए सफलताओं का बखूबी श्रेय लिया। अब कमला को सामने आकर ऐसी योजना पेश करनी चाहिए, जो अमेरिका को स्वीकार्य हो। दूसरी तरफ, ट्रंप ने खुद के साथ बहस में अपने शुरुआती लाभ को गंवा दिया। अब उन्हें फिर से शुरुआत करनी होगी और अपने करिश्मे को फिर से खोजना होगा।

राजनीतिक दार्शनिक अक्सर लैटिन शब्दावली “टेबुला रासा” का इस्तेमाल करते हैं, जिसका अर्थ होता है कोरी स्लेट। इस शब्दावली को लोकप्रिय बनाने वाले दार्शनिक जॉन लॉक का तर्क था कि जन्म के समय मनुष्य का दिमाग कोरी स्लेट की तरह होता है, जिस पर अपने अनुभवों से वह ज्ञान को भरता है। दरअसल, 2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति अभियान भी कोरी स्लेट की तरह है, जिस पर उम्मीदवारों को विभिन्न मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करना है।

ट्रंप और कमला हैरिस ने अपने नीतिगत विकल्पों के इर्द-गिर्द कई अस्पष्टताएं पैदा की हैं। अमेरिकियों और दुनिया के लिए, जो इस कोरी स्लेट पर नीतियों के भरने की प्रतीक्षा में हैं, यह दरअसल ज्ञात-अज्ञात का कोहरा है। अमेरिका के लोग अर्थव्यवस्था की स्थिति यानी जीवनयापन की लागत, रोजगार और ऋणग्रस्तता के साथ प्रवासन और गर्भपात के अधिकार को लेकर उत्तेजित एवं चिंतित हैं।

कमला और ट्रंप ने लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए वादों और रियायतों की झड़ी लगा दी है। ट्रंप ने टिप्स और सामाजिक सुरक्षा को करों से मुक्त करने, बाल कर क्रेडिट का विस्तार करने और निजी विश्वविद्यालयों पर कर लगाने का वादा किया है। कमला ने टिप्स को करों से मुक्त करने, बाल और अर्जित आय कर क्रेडिट का विस्तार करने, पहले घर की खरीद पर धन देने और आवास के लिए अन्य प्रोत्साहन देने का वादा किया है। उम्मीदवारों ने इसका विवरण नहीं दिया कि इन मुफ्त उपहारों के लिए धन का बंदोबस्त कैसे होगा।

यह अमेरिकियों और दुनिया के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। अमेरिकी राजकोषीय और मौद्रिक नीतियां वित्तीय बाजारों से होकर गुजरती हैं। अमेरिका का सकल ऋण 350 खरब डॉलर है और हर 100 दिनों में इसमें दस खरब डॉलर और जुड़ जाते हैं। उच्च ब्याज दरें ऋण सेवा लागत को और बढ़ा देती हैं। न्यूयॉर्क के इकनॉमिक क्लब में ट्रंप ने कहा कि वह आयात शुल्क बढ़ाएंगे (चीनी वस्तुओं पर 60 फीसदी) और मुद्रास्फीति को कम करेंगे, जबकि अध्ययनों से पता चलता है कि आयात शुल्क मुद्रास्फीति को बढ़ाते हैं। ट्रंप ने बिना विस्तृत विवरण दिए घोषणा की कि खर्च में कटौती करके घाटे को कम किया जा सकता है और खर्च में सुधार के लिए उद्यमी एलन मस्क की अध्यक्षता में आयोग गठित करने का वादा किया।

दूसरी तरफ, कमला ने निगमों और कुल आय पर 25 प्रतिशत न्यूनतम कर के प्रस्ताव से बाजारों और निगमों को हिलाकर रख दिया है और 10 करोड़ डॉलर से अधिक मूल्य के शेयरों और परिसंपत्तियों के स्वामित्व पर अवास्तविक लाभ (यानी कागज पर होने वाले लाभ, लेकिन वास्तव में नहीं) पर कर लगाने के विचार की घोषणा की है। इन उपायों की पहले ही काफी आलोचना हो चुकी है और इनका विरोध होना तय है।

सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति वाले देश में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे दुनिया के लिए निर्णायक होंगे। कहा जाता है कि अमेरिका का न कोई स्थायी दोस्त है और न स्थायी दुश्मन और जैसा कि विख्यात पूर्व अमेरिकी राजनयिक हेनरी किसिंजर ने कहा था, इसके सिर्फ स्थायी हित हैं। लेकिन हितों की परिभाषा भी उतनी ही अस्थायी है। वर्ष 2016 में ओबामा ने ईरान के साथ एक परमाणु समझौता किया था, जिसे 2018 में ट्रंप ने खत्म कर दिया। ट्रंप ने नाटो से बाहर निकलने की धमकी देकर यूरोप को डरा दिया, जबकि बाइडन ने अमेरिका की वापसी की घोषणा की और नाटो को मजबूत किया।

ग्लोबल वार्मिंग एक वास्तविकता है। लेकिन 2019 में ट्रंप ने पेरिस समझौते से खुद को अलग कर लिया और 2021 में बाइडन शासन फिर से इसमें शामिल हो गया। इन नीतिगत बदलावों का असर संबंधों पर पड़ा है। क्या अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के पास युद्धों को खत्म करने की कोई योजना है? जेलेंस्की शासन द्वारा संचालित और नाटो द्वारा वित्तपोषित यूक्रेन-रूस युद्ध, जो अंतहीन प्रतीत होता है, ने केवल हथियार उत्पादकों और सैन्य-औद्योगिक परिसरों की मदद की है। ट्रंप ने दावा किया कि वह एक दिन में युद्ध समाप्त कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कैसे।