विनेश फोगाट की यह यात्रा न केवल उनके अदम्य साहस और जीवटता का प्रमाण है, बल्कि उनके लिए और उनके समर्थकों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ भी है। पेरिस ओलंपिक में फाइनल मुकाबले के ठीक पहले उनका अयोग्य घोषित किया जाना निश्चित रूप से पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका था। महज सौ ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण उन्हें इस तरह बाहर कर दिया गया, जो नियमों के तहत भले ही उचित हो, लेकिन भारतीय जनता के लिए यह असहनीय और कष्टदायक है।
विनेश ने अपने अद्वितीय प्रदर्शन से पहले ही करोड़ों भारतीयों का दिल जीत लिया था। उन्होंने जिस तरह से क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में शानदार जीत दर्ज की, वह उनकी जीवटता और प्रतिभा का उदाहरण है। हालांकि, फाइनल में प्रवेश करने के बाद उनका अयोग्य घोषित होना एक निराशाजनक घटना है, जिसे खेल प्रेमी और आम जनता आसानी से नहीं पचा पा रहे हैं।
विनेश फोगाट का यह अनुभव उनके लिए और देश के लिए एक कड़वा सच है, लेकिन उनके समर्थन में खड़ा पूरा देश इस बात से आश्वस्त है कि वह इस कठिनाई से उबर कर और भी मजबूत होकर लौटेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के सभी बड़े नेता और खिलाड़ी उनके साथ खड़े हैं, और उन्हें भविष्य में और भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
यह सच है कि खेलों में नियमों का पालन करना अनिवार्य है, और विनेश का मामला भी इसी नियम का एक हिस्सा है। लेकिन इस घटना ने देश को यह याद दिलाया है कि जीत केवल मैदान में नहीं होती, बल्कि हर उस चुनौती का सामना करते हुए भी होती है, जो किसी के सामने आती है। विनेश फोगाट ने न केवल अपने खेल कौशल से, बल्कि अपनी सहनशक्ति और धैर्य से भी देश को प्रेरित किया है।
यह हार उनके लिए एक अस्थायी झटका है, लेकिन उनके आगे की यात्रा में यह एक नई शुरुआत होगी, जिसमें वह निश्चित रूप से और भी मजबूत और सक्षम खिलाड़ी के रूप में उभरेंगी।