लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सोमवार को मणिपुर दौरे पर जा रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को ही दो दिन के मास्को दौरे पर निकल रहे हैं और उसके बाद बुधवार को वे ऑस्ट्रिया जाएंगे। प्रसंगवश बता दें कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यानी महीने भर के भीतर श्री मोदी का यह दूसरा विदेश दौरा है, इससे पहले वे इटली की यात्रा कर चुके हैं। वहीं राहुल गांधी का एक साल के भीतर यह तीसरा मणिपुर दौरा है। चुनावों से पहले भी वे दो बार मणिपुर तब गए थे, जब वहां कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा के कारण जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी, और सरकार से अपने लिए शांति और सुरक्षा की मांग कर रही थी। लेकिन जनता की यह मांग अब भी पूरी नहीं हुई है।

मणिपुर में पिछले महीने भी हिंसा हुई, यानी साल भर बाद भी वहां हालात सामान्य नहीं हैं। हजारों लोग अब भी अपने घरों से बेदखल राहत शिविरों में रह रहे हैं। लेकिन संसद में मणिपुर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस को कोसते हैं कि उसके शासनकाल में वहां राष्ट्रपति शासन लगा। उन्होंने पूर्वोत्तर में विकास के नए दावे इस बार किए। उनसे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी पूर्वोत्तर में अपनी सरकार के कामों पर संतुष्टि जताई, लेकिन मणिपुर के दर्द का जिक्र उनके अभिभाषण में नहीं था। जब प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण दे रहे थे, तब विपक्ष के सांसदों ने “मणिपुर को न्याय दो” के नारे भी लगाए। विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी के वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब प्रचारित किया गया और भाजपा की ओर से इसमें राहुल गांधी पर ही सवाल उठाए गए कि नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उन्होंने जानबूझ कर इस हंगामे को बढ़ावा दिया।

सदन के भीतर के जो दृश्य संसद टीवी में नहीं दिखे, वे किसने रिकॉर्ड करके बाहर जारी किए, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। बहरहाल, राहुल गांधी की बतौर नेता प्रतिपक्ष भूमिका पर भाजपा बार-बार सवाल उठाकर उन्हें एक अक्षम नेता साबित करने में लगी हुई है। लेकिन अगर बारीकी से देखा जाए तो राहुल गांधी अब भी वही काम कर रहे हैं, जो पहले करते आए थे और जिन कामों पर देश का ध्यान भारत जोड़ो यात्रा के वक्त से गया था। राहुल गांधी ने हमेशा वंचितों और शोषितों के साथ खड़ी होने वाली राजनीति पर जोर दिया।

जब यूपीए सत्ता में थी तो वे भट्टा परसौल और नियामगिरि गए थे, ताकि किसानों और आदिवासियों के साथ खड़े हो सकें। मोदी सरकार के वक्त मंदसौर में किसानों पर गोली चली तो राहुल गांधी वहां भी गए और उन्नाव की पीड़िता के परिजनों के साथ खड़े होने भी पहुंचे। पहली भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने आम जनता से सीधे संवाद का सिलसिला और तेज किया। गरीब बच्चों को ठिठुरते देखा तो खुद भी एक टी शर्ट में ही कड़कड़ाती सर्दी में चलते रहे। यात्रा खत्म होने के बाद राहुल गांधी किसानों, गिग वर्कर्स, कुलियों, बढ़ईयों, छात्रों के बीच पहुंचे।

युवा, नारी, किसान, श्रमिक और भागीदारी न्याय का संकल्प लेकर राहुल गांधी दूसरी बार भारत जोड़ो यात्रा पर निकले और यात्रा खत्म होने के बाद जब चुनाव प्रचार का सिलसिला शुरू हुआ तो वे इन्हीं न्याय की बात करते रहे। नरेन्द्र मोदी के चुनाव प्रचार में मुस्लिम लीग, मंगलसूत्र और भैंस चोरी की बात होती थी, और राहुल गांधी जातिगत आरक्षण, रोजगार, सबके लिए बराबरी की बात करते थे। चुनाव खत्म होने के बाद श्री मोदी फिर से सत्ता में हैं और राहुल गांधी विपक्ष में, लेकिन न नरेन्द्र मोदी अपना ट्रैक बदल रहे हैं, न राहुल गांधी अपने संकल्प से हट रहे हैं।

श्री मोदी संसद में भी गांधी परिवार को और राहुल गांधी को कोसते दिखे और श्री गांधी संसद में भी नीट से लेकर मणिपुर के लोगों के लिए न्याय की बात करते रहे। संसद से बाहर भी राहुल गांधी यही कर रहे हैं। राहुल गांधी फिर से मणिपुर जा रहे हैं। इससे पहले राहुल गांधी हाथरस गए थे, जहां भगदड़ में मारे गए लोगों के लिए उन्होंने योगी सरकार से न्याय की बात की और इसके लिए चिठ्ठी भी लिखी। राहुल गांधी अहमदाबाद में उन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के परिजनों से मिले, जिन्हें कांग्रेस कार्यालय में हुई तोड़फोड़ के बाद गिरफ्तार किया गया है और राजकोट अग्निकांड के पीड़ितों से मिलकर उन्हें न्याय का आश्वासन दिया।

राहुल गांधी दिल्ली के गुरु तेगबहादुर नगर में मजदूरों के बीच भी गए, उनके साथ काम किया और ट्वीट किया कि जो भविष्य का भारत बना रहे हैं, उनके अपने परिवार का भविष्य खतरे में है। “भारत के मेहनतकश श्रमिकों को उनका पूरा हक, सुरक्षा और सम्मान दिला कर रहूंगा – ये संकल्प है।”