वीरेंदर कपूर

अग्निवीर योजना के पक्ष और विपक्ष में सैकड़ों लेख लिखे गए हैं, यहां तक कि विशेषज्ञ भी भ्रमित हैं। चूंकि नकारात्मक बातें सकारात्मक बातों के मुकाबले ज्यादा फैलती हैं, कुछ राजनीतिक दल इसे गलत ढंग से पेश करते हैं, ताकि जनता को सत्ताधारी व्यवस्था के खिलाफ भड़काया जा सके। संख्या के लिहाज से हमारी सेना सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है। पुरानी भर्ती प्रणाली में सेना की भर्ती शाखा भर्ती कार्यालय (बीआरओ) द्वारा की जाती थी, जहां आवेदकों का चयन कुछ खास मानदंडों के आधार पर किया जाता था। मोटे तौर पर ऊंचाई, वजन, छाती की माप के आधार पर स्क्रीनिंग होती थी। उसके बाद शारीरिक फिटनेस की जांच होती थी, जिसमें दौड़ना, पुलअप और संतुलन अभ्यास शामिल थे। छांटे गए उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा से गुजरना पड़ता था। ज्यादातर सैनिकों (पैदल व अन्य लड़ाकू जवानों) के लिए परीक्षा बहुत कठिन नहीं होती थी। चयन के बाद जवानों को संबंधित शाखा केंद्रों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता था और प्रशिक्षण की अवधि उसके ट्रेड की आवश्यकता के अनुसार होती थी। यहां तक कि एक ड्राइवर को भी लंबे समय तक प्रशिक्षण दिया जाता था, जिसकी वास्तव में आवश्यकता नहीं थी।

अग्निवीर योजना के बारे में कहा जाता है कि इसके बारे में सशस्त्र बलों से सलाह नहीं ली गई। यानी राजनीतिक नेतृत्व द्वारा इस योजना को रक्षा बलों पर थोपा गया। जबकि वरिष्ठ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला का कहना है कि सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) के सेना कमांडर के रूप में उन्होंने लागू होने से पहले इस योजना पर विस्तार से चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि दुनिया में किसी भी अन्य सेना ने अपने सैनिकों को 23 सप्ताह से अधिक समय तक प्रशिक्षित नहीं किया है और अग्निवीर को छह महीने यानी 24 सप्ताह तक प्रशिक्षित किया गया है। क्या हमें प्रशिक्षण में तीन साल बर्बाद करने की जरूरत है? आप हमेशा समय सीमा को उचित विश्व मानक तक सीमित कर सकते हैं। हमें प्रशिक्षण की गुणवत्ता और कठोरता पर ध्यान देना चाहिए, न कि अवधि पर।

किसी व्यक्ति के लिए पहली नौकरी की तलाश सबसे बड़ी चुनौती होती है। हर नियोक्ता अनुभव प्रमाण पत्र मांगता है। इसलिए, नौकरी चाहने वाला व्यक्ति असमंजस में फंस जाता है, क्योंकि बिना नौकरी के कार्य का अनुभव नहीं हो सकता और बिना कार्य अनुभव के नौकरी नहीं मिल सकती। अग्निवीर योजना का सबसे बड़ा लाभ है ‘कार्य अनुभव’। एक शानदार कार्य अनुभव और सैन्य नैतिकता से परिचय, जिसे रुपयों में नहीं मापा जा सकता। यह ‘सीखते हुए कमाने’ का एक तरीका है। उदाहरण के लिए, इस बार के बजट में इंटर्नशिप योजना की घोषणा की गई है। एक इंटर्न के रूप में अभ्यर्थी को प्रति महीने 5,000 रुपये मिलेंगे और काम करने का अनुभव मिलेगा। यदि कंपनी को आपका काम पसंद आता है, तो आपको वहीं नौकरी मिल सकती है या आप अपने बायोडाटा में इसका उल्लेख करके कहीं और नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इंटर्नशिप योजना रोजगार चाहने वाले स्नातकों के लिए है। अग्निवीर हर लिहाज से बेहतर योजना है। कोई भी सरकार रोजगार पैदा नहीं कर सकती। सभी राजनीतिक दलों को यह बात समझनी चाहिए और हर जगह बाधाएं खड़ी करना और अच्छी योजनाओं को भी विफल करना बंद करना चाहिए। अगर आपके पास कोई बेहतर विचार है, तो उसे संसद में पेश करें। उसे सुनने के लिए सरकार तैयार है।

पहले वर्ष में अग्निवीरों को 30,000 रुपये का मासिक पैकेज मिलता है, जिसमें 21,000 रुपये का इन-हैंड वेतन होता है। 9,000 रुपये अग्निवीर की तरफ से कॉर्पस फंड में जमा होता है, और इतनी ही राशि सरकार द्वारा भी इस फंड में जमा की जाती है। इस तरह से प्रभावी रूप से एक अग्निवीर का मासिक वेतन 39,000 रुपये होता है। इसके अतिरिक्त तीनों सेवाओं में लागू जोखिम व कठिनाई भत्ते और तीस दिन की वार्षिक छुट्टी, एलटीसी, कैंटीन सुविधा एवं चिकित्सा आदि की सुविधाएं मिलती हैं। अगर अग्निवीर उद्यमी बनना चाहते हैं, तो उन्हें बैंक ऋण में प्राथमिकता मिलेगी। अगर अग्निवीर आगे पढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें कक्षा 12 के समकक्ष प्रमाणपत्र और आगे की पढ़ाई के लिए पसंद का ब्रिजिंग कोर्स दिया जाएगा। यह मत भूलिए कि ज्यादातर अग्निवीर मात्र 12वीं पास हैं, वे पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं हैं। अग्निवीर को उनकी नियुक्ति अवधि के लिए 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाता है। समय के साथ अग्निवीरों का वेतन बढ़ता जाता है और चौथे साल का पैकेज 40,000 रुपये प्रति माह होता है।

चार साल की सेवा के बाद 25 फीसद अग्निवीर को सेना में रखा जाता है, बाकी को अपने घर भेज दिया जाता है, जो दुनिया से जूझने के लिए पूरी तरह आत्मविश्वास से भरे होते हैं। उन्हें एकमुश्त 12 लाख रुपये की कर-मुक्त राशि भी मिलती है। सरकार के लिए लागत (सीटीजी) कंपनी के लिए लागत (सीटीसी) के समान ही है। मुफ्त बोर्डिंग, लॉजिंग, (राशन), यूनिफॉर्म और अन्य चीजों के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इसे मापना कठिन है, लेकिन बचत के मामले में यह बड़ा सहारा होगा। सेना का प्रशिक्षण काफी खर्चीला होता है और अग्निवीर को यह मुफ्त मिलता है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि हर साल देश में 95 लाख युवा स्नातक बनते हैं और उनमें से ज्यादातर बेरोजगार रहते हैं। एक औसत स्नातक को हर महीने दस से पंद्रह हजार रुपये से ज्यादा नहीं मिलते। कोई भत्ता भी नहीं मिलता। चार साल स्नातक करने और चार साल काम करने के बाद भी एक सामान्य व्यक्ति अग्निवीर के बराबर रोजगार पाने की स्थिति में नहीं होता है। अग्निवीर चार साल सेना में काम करने के बाद दूसरी नौकरी पा सकता है और रोजगार करने के समानांतर पढ़ाई भी कर सकता है। अग्निवीर प्रशिक्षित, अनुशासित और कठिन मेहनत करने वाला व्यक्ति बन जाता है। अग्निवीरों को 42 महीने का कार्य अनुभव मिलता है, जो सामान्य स्नातक की तुलना में रोजगार पाने के लिए बेहतर स्थिति में होता है। सेना में उसे नेतृत्व, टीमवर्क और एक विशिष्ट संगठन से जुड़े होने की भावना मिलती है। आज कंपनियां अच्छे अनुशासित कार्यबल की तलाश कर रही हैं। इसलिए अग्निवीर योजना युवाओं का जीवन बदलने वाली योजना है।