लेखक: नूतन कुमारी
भारत में सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर जनता का विश्वास लंबे समय से टूट चुका है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निर्मित स्कूल भवन, अस्पताल, सड़कें और पुल-पुलियों की स्थिति अत्यधिक खराब हो चुकी है। इस स्थिति का प्रमाण बिहार के पुलों के गिरने और हाईवे पर दरारों का पड़ना है। सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर अब सवाल उठाए जाने लगे हैं, और जनता का विश्वास इससे उठ चुका है।
बारिश और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान पुल, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे ध्वस्त हो जाते हैं, जिससे जान-माल का नुकसान होता है। यह समस्या केवल बिहार की नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैली हुई है। हाल के दिनों में बिहार में दर्जनभर पुल गिर चुके हैं, और कई हाईवे उद्घाटन के कुछ ही महीने बाद दरारों से ग्रस्त हो गए हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत कार्यरत क्षेत्रों की स्थिति और भी बदतर है, जहां बारिश के दौरान सड़कों और मैदानों में पानी भर जाता है, जिससे वाहन दुर्घटनाएं और लोगों की जान-माल की हानि होती है।
भ्रष्टाचार निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को गिराने में बड़ा योगदान देता है। सरकारी कार्यों का अर्थ ही अधिकारियों और राजनीतिज्ञों की जेबें भरना बन चुका है। निर्माण कार्यों की लागत का आकलन वास्तविकता के आधार पर किया जाता है, लेकिन जब निर्माण शुरू होता है, तो लाभ का एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। इससे निर्माण एजेंसियां गुणवत्ता में समझौते करती हैं, और निर्माण कार्य की गुणवत्ता जल्दी ही दीवारों, छतों और फर्शों से झलकने लगती है।
नई परियोजनाओं में भी स्थिति बेहतर नहीं है। नये संसद भवन में पानी टपकने और अन्य महत्वपूर्ण भवनों में भी ऐसी ही समस्याएं सामने आई हैं। नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले नये संसद भवन में भी निर्माण के कम समय में ही पानी टपकने की समस्या सामने आई है। यह स्थिति बताती है कि निर्माण कार्यों की जल्दबाजी और लागत को लेकर किए गए समझौते किस प्रकार से गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
इस स्थिति पर राजनीतिक दलों का दृष्टिकोण भी विचारणीय है। भारतीय जनता पार्टी की ट्रोल आर्मी यह याद दिलाती है कि ऐसी समस्याएं कांग्रेस के समय में भी थीं। लेकिन इस तर्क से वर्तमान सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। हर सरकार का दायित्व होता है कि वह जनता के पैसे का सही उपयोग करे और गुणवत्ता पूर्ण निर्माण कार्य सुनिश्चित करे।
भारत में सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर जनता का विश्वास बहाल करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, गुणवत्ता मानकों का पालन, और पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसके साथ ही, सरकारी परियोजनाओं की निगरानी और निरीक्षण प्रक्रिया को मजबूत बनाना होगा, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके और देश की बुनियादी ढांचे की स्थिति सुधर सके।