नन्तू बनर्जी ने अपने लेख में भारत में सोने के आयात पर सरकार द्वारा की गई हालिया नीतिगत कटौती पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस कदम को भ्रामक और तर्कहीन बताया, विशेष रूप से उस समय जब देश को आर्थिक असंतुलन और मुद्रास्फीति की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सोने पर आयात शुल्क में की गई भारी कटौती का लाभ मुख्य रूप से अमीर वर्ग और बड़े सोने के व्यापारियों को होगा, जबकि इसका नकारात्मक प्रभाव आम जनता और देश की आर्थिक स्थिरता पर पड़ सकता है। लेख में यह भी कहा गया है कि इस नीति का उद्देश्य कुछ चुनिंदा व्यापारियों और निर्यातक देशों को फायदा पहुंचाना है, जबकि इसका देश की आर्थिक स्थिति पर दीर्घकालिक रूप से बुरा असर हो सकता है।

लेख में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि विपक्षी दलों ने अब तक इस मुद्दे पर सरकार की नीयत पर सवाल नहीं उठाए हैं, जो कि एक गंभीर नीति का मुद्दा है। अंत में, लेख में इस नीति के परिणामस्वरूप भारतीय मुद्रा के कमजोर होने और मुद्रास्फीति के बढ़ने की संभावना जताई गई है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव पड़ेगा।