ई. हेमंत कुमार
पौधे लगाना आसान है पर इनको विकसित करना बहुत पेचीदगी भरा है। एक दिन में लाखों पौधे रोपित करने का लक्ष्य भी पूरा होते हुए देखा गया है परंतु लगे हुए पौधों को लगातार जीवित रखना अत्यंत कठिन होता है। पौधरोपण करते हुए फोटो खिंचाना आज एक फैशन बन गया है। अपवाद को छोड़कर व्यक्ति दोबारा अपने रोपित पौधे की तरफ जाकर नहीं देखता भले ही वह सिंचाई के अभाव में मर जाए या अन्य कारणों से नष्ट हो जाए।
इन समस्याओं पर विचार कर जनपद बिजनौर के ग्राम फीना निवासी इंजीनियर हेमन्त कुमार ने हरियाली विस्तार के लिए एक नए प्रकार के अभियान की शुरुआत की जिसका नाम इन्होंने पेड़ जियाओ अभियान रखा। हेमंत कुमार ने इसके नाम में जियाओ शब्द विशेष रूप से चुना ताकि इसका मुख्य उद्देश्य पेड़ों को स्वावलंबी बनने तक निरंतर देखभाल करना है यह स्पष्ट होता रहे। पेड़ जियाओ अभियान में पौधा आठ फीट ऊँचा होने के बाद ही सूचीबद्ध किया जाता है। हालांकि पौधारोपण का भी विवरण रखा जाता है। पेड़ लगाओ या पेड़ बचाओ जैसे स्लोगन की तुलना में पेड़ जियाओ नाम अधिक सार्थक है।
इसलिए इसका नाम अब चर्चा में आ गया है और विभिन्न स्थानों पर प्रयोग होने लगा है। अलीगढ़ नगर निगम ने 5 जून 2024 को अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि पेड़ लगाओ नहीं पेड़ जियाओ। पौधे सिर्फ लगाने से नहीं, देखभाल से बढ़ते हैं। लखनऊ में दिनांक 13 मार्च 2024 को जलवायु परिवर्तन पर एक उच्च स्तर का तीन दिवसीय सम्मेलन हुआ। समाचार पत्र हिंदुस्तान लखनऊ के अनुसार इसमें उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव डॉ० हीरालाल ने भी पेड़ जियाओ शब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने कहा पेड़ जियाओ, पानी बचाओ, प्लास्टिक भगाओ। सम्मेलन में पर्यावरण विशेषज्ञ, शिक्षाविद, विश्वविद्यालय के शोध छात्र तथा तीन राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
हेमंत कुमार के आविष्कृत शब्दों और इनके द्वारा शुरू किए गए पेड़ जियाओ अभियान की संकल्पना का प्रयोग विभिन्न बड़े स्तरों पर हो रहा है, इस पर इन्होंने हर्ष जताया। जब हेमन्त कुमार से पूछा गया कि आपके द्वारा आविष्कृत शब्दों पेड़ जियाओ का प्रयोग जब दूसरे लोग भी कर रहे हैं तो कैसा लगता है तो इन्होंने कहा कि यह गर्व और खुशी की बात है। औपचारिक रूप से इस अभियान के अंतर्गत पहला पौधा कर्वी जनपद चित्रकूट में 14 अप्रैल 2017 को कुछ बच्चों द्वारा लगाया गया था।
पेड़ जियाओ अभियान के प्रमुख सिद्धांत और शिक्षाएँ:
- मकान में फर्नीचर, दरवाजे, खिड़की, पढ़ने के लिए कॉपी किताब, अखबार और अंतिम संस्कार के लिए सूखी लकड़ी जैसी जरूरतें हर व्यक्ति की होती हैं और इन्हें पूरा करने के लिए हर व्यक्ति के कारण कुछ पेड़ कट जाते हैं, इसलिए अपने जीवन काल में अपने हिस्से के पेड़ विकसित करना हर व्यक्ति का कर्तव्य और दायित्व है।
- भले ही पौधे कम लगें पर जितने लगें सब विकसित किये जाने चाहिए।
- किसी अज्ञात या दूसरे व्यक्ति द्वारा रोपित पौधा देखभाल या सिंचाई के अभाव में मरता या नष्ट होता दिखाई दे तो उसका भी संरक्षण करना चाहिए।
- रोपण के लिए पौधे का चयन स्थानीय जलवायु तथा परिस्थिति के अनुकूल करना चाहिए।
- विद्युत लाइन के नीचे, बाउंडरी या भवन या गेट के पास ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए जो दस फीट से अधिक ऊँचे हो जाते हैं। सड़क के एकदम किनारे और दरवाजों के निकट भी अधिक ऊँचे हो जाने वाले पौधे नहीं लगाने चाहिए।
हेमंत कुमार उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार हैं। इन्होंने बहुत सोच-समझ कर अपने अभियान का नाम पेड़ जियाओ रखा। इनके इस अभियान में रोपित लगभग तीन सैकड़ा पौधे विकसित होकर स्वावलंबी बन चुके हैं।