मॉनसून का भारतीयों से एक गहरा संबंध है। यह सिर्फ एक मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि हमारे विविध देश की जीवनरेखा है। कश्मीर की धुंध भरी घाटियों से लेकर केरल के हरे-भरे वन तक, मॉनसून भारत को एक प्राकृतिक स्वर्ग में बदल देता है। मॉनसून के आने से भारत की वनस्पति और जीव-जंतुओं में भी अद्भुत बदलाव देखने को मिलता है। कई पक्षी तथा जानवर इस मौसम की खुशी में झूम उठते हैं। मोर के नृत्य और खेलते हुए हिरण की खुशी के दृश्य मॉनसून के मनमोहक रूपों में से कुछ हैं।
मॉनसून के दौरान पक्षियों की अनोखी दुनिया भी जागृत होती है। बारिश बटेर, जिसे अंग्रेजी में रेन क्वेल कहा जाता है, मॉनसून का प्रतीकात्मक पक्षी है। यह पक्षी बेहद शर्मीला होता है, लेकिन इसकी एक विशिष्ट मुद्रा होती हैः आकाश की ओर देखकर अपनी मधुर आवाज में पुकारना। बारिश बटेर का यह आकाश की ओर देखना और पुकारना मॉनसून की छटा को और भी मनमोहक बना देता है।
मॉनसून के दौरान सक्रिय होने वाला एक और रंग-बिरंगा पक्षी ओरिएंटल ड्वार्फ किंगफिशर है। यह समय उनके लिए घोंसला बनाने और अपने चूजों को भोजन खिलाने का होता है। यह खूबसूरत पक्षी मुख्य रूप से पश्चिमी घाट के घने जंगलों और गीली भूमि वाले क्षेत्रों में देखा जाता है। इनका आहार मुख्य रूप से छोटे कीड़े-मकोड़े और जलीय जीवों पर निर्भर होता है।
इनकी घोंसला बनाने की प्रक्रिया भी बेहद अनोखी होती है। यह पक्षी नदी किनारे नमी वाली मिट्टी में सुरंग खोदकर घोंसला बनाते हैं, जिसमें वे अपने अंडे देते हैं और बाद में अपने चूजों का पालन-पोषण करते हैं। हम फोटोग्राफर अक्सर इन पक्षियों को विभिन्न स्थलों पर देखने और उनके जीवन का आलेखन करने का अवसर तलाशते हैं।
मॉनसून और प्रकृति का यह अनूठा संबंध हमें यह सिखाता है कि हमें अपने पर्यावरण और इसकी अनमोल धरोहरों को संरक्षित करना चाहिए।