अमेरिकी अर्थव्यवस्था का नायक और खलनायक, जब पूर्व राष्ट्रपतियों ने केंद्रीय बैंक को मार दिया
अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति जेफरसन ने केंद्रीय बैंक का विरोध कर दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका का संविधान, फेडरल सरकार को बैंक बनाने और मुद्रा जारी करने का अधिकार नहीं देता है। यह काम तो राज्यों को मिलेगा। वह कह रहे हैं, ‘केंद्रीय बैंक आम लोगों की आजादियों के लिए किसी हथियारबंद सेना से ज्यादा खतरनाक है।’ एंड्रयू जैक्सन और थॉमस जेफरसन, दोनों राष्ट्रपति केंद्रीय बैंकों के जानी दुश्मन थे। लेकिन वक्त इनसे ज्यादा ताकतवर निकला। वर्ष 1913 में फेडरल रिजर्व की स्थापना हुई, जो महंगाई को लेकर सख्त है। अमेरिकियों को लग रहा है कि फेडरल रिजर्व मंदी को बुलाकर ही मानेगा।
अंशुमान तिवारी
अगस्त की शुरुआत में जब दुनिया में मंदी का हल्ला हुआ, शेयर बाजार नई गर्त में जा धंसे, तो इस मुसीबत का खलनायक किसे माना गया? वही अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व। अमेरिका के शेयर कारोबारी अब फेडरल रिजर्व को रह-रहकर कोसते हैं। बार-बार शेयर बाजार गिराकर वे यह साबित करना चाहते हैं कि अगर ब्याज दरें नहीं घटीं, तो मंदी आई समझो।
अमेरिका में चुनाव का मौसम है, गिरते बाजार और मंदी की खबरें सरकारों को नहीं सुहातीं। फेडरल रिजर्व अमेरिकी अर्थव्यवस्था का पुराना नायक भी है और खलनायक भी। पूंजीवाद की महापीठ अमेरिका में महंगी पूंजी यानी ऊंची ब्याज दर को बिसूरने वाले बहुतेरे हैं। कोविड के बाद महंगाई बढ़ी, तो फेडरल रिजर्व ने कर्ज महंगा किया। बाजार में कम पूंजी आई और यह दवा चाटकर महंगाई का बढ़ना रुक गया। अलबत्ता महंगाई गई नहीं।
फेडरल रिजर्व सख्त है। उसकी सख्ती कुछ इस कदर बढ़ी है कि अमेरिकियों को लग रहा है कि फेडरल रिजर्व मंदी बुलाकर ही मानेगा। अमेरिकी सियासत का अतीत फेडरल रिजर्व को लेकर बड़ा ही रोमांचक रहा है। अगर आपको लगता है कि अमेरिकी सियासत में सबसे ज्यादा विवादित नेता डोनाल्ड ट्रंप हैं, तो आइए बैठिए टाइम मशीन में, हम आपको मिलवाते हैं ऐसे राष्ट्रपतियों से, जिन्होंने केंद्रीय बैंक को मार दिया।
यह 1836 का अमेरिका है। हम सीधे वाशिंगटन पहुंचे हैं। खबर है कि सातवें राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन ने बैंक ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स की कानूनी मान्यता बढ़ाने यानी रि-चार्टर के प्रस्ताव पर वीटो ठोक दिया… और अमेरिका का केंद्रीय बैंक यानी फेडरल रिजर्व का पूर्वज बंद (1836) कर दिया गया।
हम जिस दौर में हैं, अमेरिका के सातवें राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन और तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन लोगों के नूरे-नजर हैं। ये दोनों राष्ट्रपति केंद्रीय बैंकों के जानी दुश्मन हैं। इन्होंने तय कर दिया कि आगे अमेरिका में कोई केंद्रीय बैंक नहीं होगा। अलबत्ता वक्त इनसे ज्यादा ताकतवर निकलेगा।
आइए, हम थोड़ा और पीछे चलते हैं। टाइम मशीन हमें उस काल खंड में ले आई है, जहां अमेरिकी आजादी की लड़ाई खत्म हो गई है। आजादी की लड़ाई ने अमेरिका को आर्थिक तौर पर तोड़ दिया है। अमेरिकी संविधान को मंजूरी (1789) मिल गई है। पहले वित्तमंत्री अलेक्जेंडर हैमिल्टन देश में कर्ज और पूंजी की समस्या दूर करने के लिए फेडरल बैंकिंग का प्रस्ताव लेकर आए हैं। अमेरिकी कारोबारियों के बीच बहस जारी है। हैमिल्टन की तैयारी एक ऐसा बैंक बनाने की है, जो ब्रिटेन की उपनिवेशवादी मौद्रिक प्रणाली समाप्त कर नेशनल करेंसी लागू करेगा। अमेरिकी मुद्रा डॉलर होने वाली है।
सियासत गर्म है। अमेरिका के पश्चिम हिस्से के कारोबारी इस बैंक का विरोध कर रहे हैं। राजनीतिज्ञ विभाजित हैं। अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित संस्थापक नेता, आजादी के प्रबल समर्थक और जॉर्ज वाशिंगटन की कैबिनेट में विदेश मंत्री थॉमस जेफरसन ने भी इस केंद्रीय बैंक का विरोध कर दिया है। वह कह रहे हैं कि अमेरिका का संविधान, फेडरल सरकार को बैंक बनाने और मुद्रा जारी करने का अधिकार नहीं देता है। यह काम तो राज्यों को मिलेगा। वह कह रहे हैं, ‘केंद्रीय बैंक आम लोगों की आजादियों के लिए किसी हथियारबंद सेना से ज्यादा खतरनाक है।’ और यह लीजिए, अमेरिकी कांग्रेस में बखेड़ा हो गया। जेफरसन, जॉर्ज वाशिंगटन सरकार में विदेश मंत्री हैं और हैमिल्टन वित्तमंत्री। हैमिल्टन और जेफरसन के बीच तीखा विवाद हुआ है। अलबत्ता फेडरलिस्ट पार्टी की मदद से 1791 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक का प्रस्ताव मंजूर हो गया। बुरी तरह खफा थॉमस जेफरसन ने (1793) कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। बैंक ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स यानी केंद्रीय बैंक स्थापित हो गया, लेकिन उम्रदराज होगा कि नहीं, इसकी गारंटी नहीं है। यह 1836 का दौर है और एंड्रयू जैक्सन राष्ट्रपति बने हैं। अमेरिकी राजनीति में बैंक वार शुरू हो गया है।
अखबार चीख रहे हैं कि राष्ट्रपति जैक्सन और बैंक ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स के अध्यक्ष निकोलस बिडेल के बीच सीधी लड़ाई हो रही है। राष्ट्रपति जैक्सन केंद्रीय बैंक को भ्रष्टाचार का गढ़ मानते हैं। उन्होंने अपने वीटो का इस्तेमाल कर केंद्रीय बैंक को खत्म कर दिया। अमेरिकी सरकार का पैसा अब केंद्रीय बैंक में नहीं जमा होगा। यह अमेरिका में फ्री बैंकिंग का दौर है। राज्यों में करीब 8,000 बैंक हैं, जो अगले 25 साल तक अपनी करेंसी चलाएंगे। इस बीच अमेरिका में सिविल वार शुरू हो गया है।