मोदी सरकार की तीसरी पारी के पहले आम बजट में रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी गई है। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे रोजगार संकट की बड़ी वजह बताई गई। इसी को ध्यान में रखते हुए, इस बजट का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन रहा। विशेष रूप से युवा मतदाताओं को संतुष्ट करने हेतु बजट में नौकरियों और कौशल विकास को प्रमुखता दी गई है।
विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन: विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन हेतु एक विशेष योजना लाई गई है। अगले पांच सालों में लगभग एक करोड़ युवाओं के कौशल विकास हेतु शीर्ष पांच सौ कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर मुहैया कराने की घोषणा की गई है। इसके साथ ही औपचारिक क्षेत्र में कार्यबल का हिस्सा बनने पर युवाओं को एकमुश्त राशि का योगदान भविष्य निधि में किया जाएगा।
रोजगार और कौशल विकास के लिए बजट: मोदी सरकार की तीसरी पारी में रोजगार को प्राथमिकता का पता इस बात से चलता है कि पांच योजनाओं के जरिये रोजगार और कौशल विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दो लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर ध्यान: नई नौकरियों की सृजन क्षमता रखने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह प्रयास आत्मनिर्भर भारत की सोच के साथ ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और नई नौकरियां पैदा करने में सक्षम होगा।
मध्यमवर्गीय वोट बैंक के लिए कर राहत: अपने मध्यमवर्गीय वोट बैंक के दृष्टिगत वेतनभोगी कर्मियों को कर में राहत और सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन में मानक आयकर कटौती की सीमा घटाकर संबल दिया गया है। इस कदम से चार करोड़ कर्मियों और पेंशनभोगियों का फायदा होने की बात कही जा रही है।
कृषि क्षेत्र के लिए नया रोडमैप: राजग सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए नया रोडमैप प्रस्तुत किया है। किसानों की आय में स्थिरता, उत्पादकता और आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने पर बल दिया गया है। जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझती खेती को कवच प्रदान करने की कोशिश की गई है।
प्राकृतिक खेती और तिलहन उत्पादन: दो साल के भीतर एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तैयार करने की योजना है। तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के मकसद से सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा देने के उपाय प्रस्तुत किए गए हैं।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिये किसानों की भूमि, ऋण और वित्तीय सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त बनाने का प्रयास होगा।
निष्कर्ष: इस बजट से यह स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में बदलाव आया है। पूंजीगत व्यय में वृद्धि और राजकोषीय घाटा कम करने के प्रयास सराहनीय हैं। लेकिन, इन योजनाओं के क्रियान्वयन की बाधाओं को प्राथमिकता के आधार पर दूर करना होगा ताकि लक्ष्यों को समय पर और प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सके।