सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय बजट पर अपना पक्ष रखते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने देश के सामने न केवल भारतीय जनता पार्टी सरकार को बेनकाब किया बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि किस प्रकार से जनता को एक चक्रव्यूह में फंसाया गया है। उन्होंने दावा किया कि प्रतिपक्षी गठबंधन इंडिया उस चक्रव्यूह को तोड़ देगा।

राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि महाभारत में उल्लिखित चक्रव्यूह का आकार कमल की तरह होता है, जो भाजपा का निशान है। उन्होंने बताया कि महाभारत में वर्णित चक्रव्यूह के केंद्र में छह लोग (द्रोणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, कृतवर्मा और शकुनी) थे, वैसे ही भाजपायी चक्रव्यूह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, अदानी, अंबानी, मोहन भागवत हैं। छठे का नाम लेने के पहले ही सदन में कोहराम मच गया।

स्पीकर ने नियमों का हवाला देते हुए उन्हें ऐसे किसी व्यक्ति का नाम लेने से मना किया जो सदन का सदस्य नहीं है। राहुल ने एक तरफ से उन्हें ही फंसाते हुए पूछ लिया कि उनके (अदानी-अंबानी) लिये वे आखिर क्या कहकर संकेत करें कि लोग समझ जाएं कि किसके बारे में कहा जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या उन्हें नंबर 3 और नंबर 4 कह सकते हैं या फिर ए 1 और ए 2 कहें।

संसदीय मंत्री किरण रिजिजू ने जब उनसे संसदीय मर्यादा का पालन करने को कहा तो राहुल ने उन पर तंज कसा कि “मंत्री को ऊपर से आदेश है कि उनकी (अदानी-अंबानी) की रक्षा की जाए।” स्पीकर बिरला हमेशा की तरह सरकार के पक्ष में खड़े दिखलाई दिये। उन्होंने बार-बार विपक्ष के नेता से संसद के नियमों का पालन करने की उम्मीद जताई।

राहुल ने अदानी-अंबानी के नाम लेकर माफी मांग ली, परन्तु माना जाता है कि ऐसा उन्होंने रणनीति के तहत किया। अपनी चक्रव्यूह वाली बात को आगे बढ़ाते हुए राहुल ने कहा कि नोटबन्दी, जीएसटी, तीन कृषि कानून, अग्निपथ जैसी योजनाओं के जरिये लोगों को चक्रव्यूह में फंसाया गया है। उन्होंने भरोसा जताया कि इंडिया के पास इस चक्रव्यूह को तोड़ने के उपाय हैं।

राहुल ने कहा कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा), किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और जातिगत जनगणना के जरिये जनता को फंसाये गये चक्रव्यूह को काटा जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बजट का पूरा लाभ मुट्ठी भर लोगों को मिल रहा है। उन्होंने इसका कारण बताया कि गिने-चुने लोगों द्वारा बजट तैयार किया जाता है जिनमें कोई भी आदिवासी, दलित या पिछड़ा वर्ग का अधिकारी नहीं होता। उन्होंने कहा कि जब तक ऐसा होगा समाज के निचले वर्गों को इस बजट का कोई फायदा नहीं होगा।

राहुल गांधी ने वह तस्वीर दिखलानी चाही जिसमें वे अधिकारी थे जिन्होंने बजट तैयार किया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई भी अधिकारी वंचित समाज का नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष की नामंजूरी के पहले ही वे इस चित्र को दिखाने में कामयाब रहे।