उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए वक्तव्य, “बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे” पर सियासी विवाद छिड़ गया है। इस बयान को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जा रहा है, और इसके निहितार्थ को लेकर भिन्न-भिन्न व्याख्याएं की जा रही हैं। यह विडंबना ही है कि जो लोग जातीय चेतना, दलित विमर्श, क्षेत्रीय अस्मिता और पृथक पहचान के नाम पर समाज और राष्ट्र को विभाजित करने का कार्य करते हैं, उन्हें योगी आदित्यनाथ के इस वक्तव्य में संकीर्णता और सांप्रदायिकता नजर आती है।

वर्तमान समय में, देश में ऐसे कई समूह सक्रिय हैं जो वामी-जिहादी गठजोड़ की भाषा बोल रहे हैं। इनके दृष्टिकोण से भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि राज्यों का एक संघ मात्र है। वे देश की संस्कृति, अस्मिता और राष्ट्रीयता को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से देखते हैं, और इसी सोच के आधार पर उनकी नीतियां और विचारधाराएं विकसित होती हैं। यह वही समूह है जो हमास और हिजबुल्ला जैसी संगठनों का समर्थन पंथनिरपेक्षता के नाम पर करता है, लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी साधे रहता है, ताकि मतदाताओं का ध्रुवीकरण न हो।

आज, देश-विदेश में सक्रिय भारत विरोधी ताकतें जाति, पंथ, भाषा, लिंग, क्षेत्र और मजहब के नाम पर चलने वाले विमर्श को प्रगतिशीलता के रूप में प्रस्तुत करती हैं, जबकि सनातन संस्कृति की छवि को धूमिल करने की कोशिश में लगी रहती हैं। भारतीय समाज वर्तमान में आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से घिरा हुआ है, जिसमें भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता और सनातन संस्कृति पर आघात करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

यह स्पष्ट है कि भारतीय समाज को सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक एकता के सूत्र में पिरोए रखने के लिए परस्पर जुड़ाव की आवश्यकता है। इतिहास के पन्नों में देखें तो विभाजनकारी प्रवृत्तियां और विभेदकारी कुरीतियां हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता रही हैं। विदेशी आक्रांताओं और साम्राज्यवादी शक्तियों ने “फूट डालो और राज करो” की नीति का अनुसरण करते हुए हमें दासता की बेड़ियों में जकड़ा और अंततः भारतवर्ष को विभाजित करने में सफल रहे। विभाजन का रक्तरंजित इतिहास आज भी हर भारतीय के हृदय को आहत करता है।

योगी आदित्यनाथ के इस वक्तव्य को राजनीतिक पूर्वाग्रहों से हटकर देखे जाने की आवश्यकता है। इसे समझने के लिए अतीत के निर्णायक युद्धों में मिली जय-पराजय और भारत-विभाजन के कारणों और परिणामों का समग्रता में विश्लेषण करना होगा।