मधुरेंद्र सिन्हा
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक बार फिर बजट पेश करने की तैयारी में हैं। लोकसभा चुनाव से पूर्व उन्होंने जो अंतरिम बजट पेश किया था, वह भले ही संतुलित बजट था, लेकिन उसमें मध्यवर्ग को कोई राहत नहीं दी गई थी। अब जब वह पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं, तो लोगों, खासकर मध्यवर्ग की उनसे उम्मीदें बढ़ गई हैं, क्योंकि फिलहाल वह राहत देने की स्थिति में हैं।
मध्यवर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका
मध्यवर्ग बड़े पैमाने पर खरीदारी करके अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनाए रखने में मदद करता है। वित्तमंत्री ने स्वयं स्वीकार किया है कि देश में बढ़ती खपत के कारण ही जीडीपी में तेजी दिख रही है। खपत बढ़ने से कारखानों की भी रफ्तार बढ़ जाती है, जिससे रोजगार बढ़ता है, जो अंततः लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाकर खपत को बढ़ावा देता है।
आयकर दरों में कटौती की मांग
इस बार सरकार की उम्मीदों से कहीं ज्यादा टैक्स की वसूली हुई है। प्रत्यक्ष और परोक्ष करों में आशातीत बढ़ोतरी हुई है। जीएसटी वसूली बढ़कर हर महीने औसतन पौने दो लाख करोड़ रुपये तक जा पहुंची है। दूसरी ओर आयकर में वसूली भी बढ़ गई है। यानी सरकार के पास राहत देने के लिए काफी गुंजाइश है।
वित्तमंत्री चाहें, तो आयकर दरों में कटौती कर सकती हैं, जिसकी मांग लंबे समय से हो रही है। मध्यवर्ग और निम्न मध्यवर्ग के समक्ष आयकर एक बड़ी बाधा है, जो उनकी खर्च करने की क्षमता को सीमित कर रहा है। जनता की मांग है कि पुरानी आयकर दर को घटाकर 5 से 20 फीसदी कर दिया जाए, क्योंकि आयकर देने वाला जीएसटी भी दे रहा है।
80सी और 80डी की सीमा बढ़ाने की मांग
वित्तमंत्री से उम्मीद की जा रही है कि वह 80सी की सीमा बढ़ाएं। वर्ष 2014 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये कर दिया था, जिससे करदाताओं को फायदा हुआ था। पिछले दस साल में महंगाई इतनी बढ़ गई कि अब इसका भी ज्यादा फायदा नहीं हो पा रहा है। इसलिए 80सी की सीमा को बढ़ाकर दो लाख रुपये कर देना चाहिए।
सरकार को 80डी की सीमा में भी बढ़ोतरी करनी चाहिए। यह मेडिकल खर्च से जुड़ा हुआ है, जिसकी सीमा लंबे समय से नहीं बढ़ी है, जबकि चिकित्सा लागत में काफी बढ़ोतरी हुई है। साथ ही चिकित्सा बीमा पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी को भी कम करना चाहिए, क्योंकि बीमा कंपनियों ने अपने प्रीमियम अनाप-शनाप तरीके से बढ़ा दिए हैं। इस वजह से लाखों लोग बीच में ही स्वास्थ्य बीमा छोड़ देते हैं।
टैक्स कटौती से संभावित लाभ
इतिहास गवाह है कि टैक्स दर घटाने से टैक्स वसूली नहीं घटती। जीडीपी बढ़ाने के लिए यह जरूरी है, क्योंकि मध्यवर्ग को दी गई टैक्स छूट, खरीदारी की शक्ल में बाजारों में आएगी और फिर खपत बढ़ेगी, जो जीडीपी में तेजी का कारण बनेगी।
निष्कर्ष
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के पास आगामी बजट में मध्यवर्ग को राहत देने का महत्वपूर्ण अवसर है। टैक्स में कटौती से न केवल मध्यवर्ग की क्रयशक्ति बढ़ेगी, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार के खजाने में पर्याप्त धनराशि होने के कारण, यह समय है कि वित्तमंत्री लोगों की उम्मीदों को पूरा करें और देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।