केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अगस्त को एकीकृत पेंशन योजना (यूनिफाइड पेंशन स्कीम, यूपीएस) को मंजूरी प्रदान की, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित और सुनिश्चित पेंशन प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी और सरकारी कर्मचारियों को भविष्य की चिंताओं से मुक्त करते हुए उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

यूपीएस के कार्यान्वयन से पहले, राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) को लेकर काफी विवाद था, विशेष रूप से विपक्षी दलों द्वारा इसे राजनीतिक मुद्दे के रूप में उठाया गया। एनपीएस की मुख्य आलोचना यह थी कि यह बाजार से जुड़ी योजना है, जिससे पेंशन की राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहती है और कर्मचारी अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं रह पाते थे। इस वजह से, पुरानी पेंशन योजना की वापसी की मांग भी होती रही।

यूपीएस ने इन चिंताओं को संबोधित करते हुए पेंशन संबंधी सभी प्रश्नों का समाधान किया है। यह योजना सुनिश्चित करती है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को एक स्थिर और निश्चित पेंशन मिले। यूपीएस के तहत, 25 वर्षों की न्यूनतम सेवा के बाद सेवानिवृत्ति से पहले के अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाएगा। यदि कोई कर्मचारी 10 वर्षों की सेवा के बाद रिटायर होता है, तो उसे न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलेगी।

यूपीएस में सरकारी योगदान को बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान देंगे। इसके विपरीत, एनपीएस के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान देते थे, जबकि सरकार 14 प्रतिशत का योगदान देती थी। इस प्रकार, यूपीएस एक स्थिर और अधिक सुनिश्चित पेंशन प्रणाली के रूप में उभरकर आई है, जो कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।