बांग्लादेश में इस समय इस्लामी कट्टरपंथियों का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, जिससे गैर-इस्लामिक समुदायों और आधुनिकता के लिए कोई स्थान नहीं बच रहा है। देश में चुनावों को लेकर कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बीएनपी नेता तारिक जिया को बांग्लादेश लौटने की अनुमति नहीं मिल रही है। वर्तमान में सत्ता जमात-ए-इस्लामी के हाथ में है, जो चुनावों के बिना अधिक समय तक सत्ता में रहना चाहती है ताकि देश में इस्लामिक शासन को पूरी तरह लागू किया जा सके।

दूसरी ओर, मुहम्मद यूनुस जैसे जिम्मेदार व्यक्ति भी देश में हो रहे इन बदलावों को लेकर सार्थक हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। उलटे, उग्र युवाओं के विध्वंसात्मक और अमानवीय कार्यों को विभिन्न तरीकों से समर्थन दिया जा रहा है। बांग्लादेश में वर्तमान सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप को लेकर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन जिन लोगों ने सत्ता को हथिया लिया है, उनका भी लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं है।

बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति चिंताजनक है, जहां कट्टरपंथी संगठन खुलेआम काम कर रहे हैं। इन संगठनों का उद्देश्य देश में खिलाफत की स्थापना करना है। इससे पहले कि बांग्लादेश पूरी तरह इन कट्टरपंथियों के चंगुल में फंस जाए, कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें सबसे पहले निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराए जाने चाहिए, जिसमें अवामी लीग सहित सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी होनी चाहिए।

जमात-ए-इस्लामी को राजनीतिक दल के रूप में मान्यता नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वह एक धार्मिक संगठन है। साथ ही हिजबुत तहरीर, आइएस और अन्य आतंकी समूहों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। बांग्लादेश के सड़कों पर हिंसक भीड़ द्वारा किए जा रहे तथाकथित न्याय पर भी तुरंत रोक लगनी चाहिए, और प्रेस की स्वतंत्रता तथा अभिव्यक्ति की आजादी को बनाए रखना जरूरी है।

बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन भी कट्टरपंथियों द्वारा नियंत्रित हो गया है, जिसमें छात्रों की जायज मांगों को इस्लामी कट्टरपंथियों और अलगाववादियों ने अपने उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया। इस आंदोलन के तहत हजारों अध्यापकों, विशेषकर हिंदू समुदाय के शिक्षकों को अपमानित कर उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया गया। वहीं, जिहादी लड़ाके और सजायाफ्ता अपराधी जेलों से रिहा किए जा रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी और हिजबुत तहरीर जैसे समूहों से प्रतिबंध हटने के बाद आइएस के झंडे लेकर इन संगठनों के लड़ाकों ने ढाका में रैली भी निकाली है, जिससे बांग्लादेश की स्थिति और गंभीर होती जा रही है।