आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार किया गया 3डी रैंडम कोड नकली माल पर नकेल कसने में कारगर साबित होगा। बाजार में नकली माल बेचने से रोक पाने में सरकार की कोई योजना कारगर नहीं हो रही थी, लेकिन इस नए कोड से नकली उत्पादों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में इस विशेष 3डी रैंडम कोड को विकसित किया गया है, जिसे एक बार तैयार करने के बाद वैसा ही कोड दोबारा नहीं बनाया जा सकता। इस कोड की खासियत यह है कि कंपनी खुद भी इसे दोबारा तैयार नहीं कर सकती।

आईआईटी के प्रोफेसर दीपक ने 2013 में इस पर काम शुरू किया था और मटेरियल साइंस एंड डिपार्टमेंट के तहत इसे विकसित किया। उन्होंने इसे आधार कार्ड की तरह काम करने वाला बताया, जहां जैसे फिंगरप्रिंट और आधार नंबर मिलाकर पहचान की पुष्टि की जाती है, वैसे ही इस 3डी कोड के माध्यम से असली और नकली उत्पादों की पहचान की जाएगी।

इस कोड की खासियत यह है कि इसका उपयोग करने वाले “चेको एप” के माध्यम से कोड स्कैन कर उत्पाद की वास्तविकता की पुष्टि कर सकते हैं। नकली उत्पादों की पहचान करना अब आसान हो जाएगा, क्योंकि 3डी कोड की कॉपी भी नकली मानी जाएगी और तुरंत पकड़ा जाएगा।

इस तकनीक के आने से दुकानदार और ग्राहक दोनों ही असली और नकली माल की पहचान आसानी से कर सकेंगे।