जयपुर की अवनि लेखरा ने भारत के लिए लगातार दो पैरालंपिक में शूटिंग स्पर्धा में दो गोल्ड मैडल जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। खेल के साथ अवनि को रामचरितमानस से भी शक्ति मिली है। उनके पिता प्रवीण लेखरा ने बताया कि रामचरितमानस की चौपाई “कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं” को अवनि दोहराती है। पेरिस पैरालंपिक में जाते समय भी यह चौपाई अवनि लेखरा कागज पर लिखकर ले गई थी।

अवनि का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मात्र 11 साल की उम्र में, जब एक सड़क हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गई और उसे व्हीलचेयर पर आना पड़ा, तब उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी। लग रहा था कि जीवन में आगे कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन परिवार ने उसे संबल दिया। अवनि के पिता ने उसे राइफल शूटिंग के प्रति प्रोत्साहित किया और 2015 में उसने शौकिया शूटिंग की शुरुआत की। हालांकि, शुरुआत में उसे राइफल उठाने में भी परेशानी होती थी, लेकिन उसके दृढ़ संकल्प और परिवार के समर्थन ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया।

अवनि ने अपने करियर की शुरुआत में ही चुनौतियों का सामना किया। उसके पास खुद की राइफल तक नहीं थी, और उसने उधार की राइफल से ही गोल्ड मैडल जीता। 2016 में उसने स्पर्धाओं में तीन गोल्ड मैडल जीते, जिससे उसका चयन इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए हो गया। 2017 में यूएई में अवनि ने अपने पहले वर्ल्ड कप में सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया।

टोक्यो पैरालंपिक में अवनि पहली भारतीय महिला बनीं, जिसने गोल्ड मैडल जीता। वह एक पैरालंपिक में दो मैडल (एक गोल्ड और एक ब्रॉन्ज) जीतने वाली पहली भारतीय हैं। अवनि पहली भारतीय ओलंपियन भी हैं, जिसने लगातार दो पैरालंपिक खेलों में गोल्ड