कानपुर में 12वीं की तीन छात्राएं हिजाब पहनकर अपने कॉलेज पहुंचीं, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। टीचर ने बिना यूनिफॉर्म क्लास में आने से मना कर दिया, जिससे मामला क्लास टीचर से होते हुए प्रिंसिपल तक पहुंचा। प्रिंसिपल ने भी छात्राओं को तय ड्रेस कोड में आने को कहा, लेकिन छात्राओं ने मना करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
छात्राओं ने कहा कि उनके पहनावे से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए और सवाल उठाया कि उन्हें मना करने का अधिकार किसे है। आरोप लगाया कि क्लास टीचर ने कहा कि अगर हिजाब पहनकर आना है तो मदरसे में पढ़ाई करो। मामला बिल्हौर के एक इंटर कॉलेज का है।
बुधवार सुबह तीन छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंचीं। उन्हें इस तरह देख सहपाठियों ने क्लास टीचर से शिकायत की। क्लास टीचर ने पहले तीनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे हिजाब उतारने को तैयार नहीं हुईं। जब छात्राएं नहीं मानीं, तो टीचर ने उन्हें प्रिंसिपल के पास भेज दिया। प्रिंसिपल ने भी उन्हें स्कूल के निर्धारित ड्रेस कोड में आने को कहा, जिस पर छात्राओं ने कहा कि वे स्कूल इसी तरह आएंगी या फिर उनका नाम काट दिया जाए।
प्रिंसिपल ने इसे अनुशासनहीनता माना और छात्राओं से नियमों को मानने की बात लिखवाकर हिजाब पर बैन लगा दिया। क्लास टीचर को आदेश दिया गया कि तीनों छात्राओं का नाम अलग-अलग सेक्शन में लिख दिया जाए।
प्रधानाचार्य की तरफ से नोटिस घरवालों को भेजी गई, जिसके बाद छात्राओं के परिजन भी कॉलेज पहुंचे। बातचीत के बाद दो छात्राओं ने अपनी गलती स्वीकार कर ली और निर्धारित ड्रेस में कॉलेज आने लगीं। हालांकि, एक छात्रा अगले दिन स्कूल नहीं आई, लेकिन गुरुवार को वह भी अपने परिजनों के साथ कॉलेज पहुंची।
प्रिंसिपल ने स्पष्ट किया कि यह मामला धर्म या मजहब का नहीं, बल्कि अनुशासन और समान अधिकार का है। स्कूल का एक ड्रेस कोड है और उसी का पालन करना होगा।
प्रिंसिपल ने समझाया कि यदि हिजाब पहनना ही है, तो वे स्कूल गेट के बाहर तक बांधकर आ सकती हैं, फिर उसे खोलकर बस्ते में रख लें, और छुट्टी के बाद गेट के बाहर जाकर फिर से पहन लें। छात्राओं और उनके परिजनों ने यह बात मान ली और अपनी गलती स्वीकार की।
प्रबंधक प्रभाकर श्रीवास्तव ने बताया कि अब कोई समस्या नहीं है और सभी छात्राएं विद्यालय आ रही हैं। एसडीएम रश्मि लांबा ने भी कहा कि मामले की जानकारी है और सभी को विद्यालय में निर्धारित ड्रेस कोड में ही आना चाहिए। मामले की जानकारी डीआईओएस को भी दी गई है।