नई दिल्ली, एजेंसी। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया है कि समय-समय पर सरकारी मंत्रालयों और विभागों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी मिलने की शिकायतें मिलती हैं, जिन्हें उचित कार्रवाई के लिए आमतौर पर संबंधित मंत्रालयों/विभागों को भेज दिया जाता है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मौजूदा निर्देशों में यह प्रावधान है कि अगर यह पाया जाता है कि किसी सरकारी कर्मचारी ने नियुक्ति पाने के लिए गलत जानकारी दी है या गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है, तो उसे सेवा में नहीं रखा जाना चाहिए।
यूपीएससी ने रद्द की है पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रकार, जब नियुक्ति प्राधिकारी को पता चलता है कि किसी कर्मचारी ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है, तो उसे संबंधित सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार सेवा से हटाने या बर्खास्त करने के लिए कार्रवाई शुरू करनी होती है। यह प्रतिक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने हाल ही में प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें योग्यता से परे सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी से प्रयास करने के लिए भविष्य की सभी परीक्षाओं से वंचित कर दिया था। उन पर विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया गया है।
प्रमाण पत्र जारी और सत्यापित करने की जिम्मेदारी राज्य की: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जाति/समुदाय प्रमाण पत्र जारी करने और सत्यापित करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने “कुमारी माधुरी पाटिल बनाम अपर आयुक्त” के मामले में 2 सितंबर, 1994 को अपने फैसले में सामाजिक स्थिति प्रमाण पत्र जारी करने, उनकी जांच और उनके अनुमोदन के लिए राज्य सरकारों की तरफ से पालन किए जाने वाले विस्तृत मानदंड/दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं।