लेखक: अरविन्द मोहन

परिचय: हाल के राजनीतिक परिदृश्य में जनगणना और जातिगत जनगणना को लेकर बहस तेज हो गई है। राहुल गांधी द्वारा उठाए गए इस मुद्दे ने भाजपा को एक असमंजस की स्थिति में डाल दिया है, जबकि भाजपा इस मामले को हिंदू-मुस्लिम के आधार पर ले जाने की कोशिश कर रही है।

देश में जनगणना की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सरकार की नीतियों, संसाधनों के आवंटन और चुनाव क्षेत्रों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सामान्य जनगणना नहीं होने के कारण विभिन्न सर्वेक्षणों और नीतियों के लिए पुराने आंकड़ों का उपयोग करना पड़ रहा है, जिससे नतीजे संदिग्ध हो सकते हैं।

सरकार ने कोरोना महामारी का हवाला देकर जनगणना को रोका था, लेकिन अब महामारी के खत्म होने के बावजूद जनगणना की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इसके अलावा, सरकार ने कई महत्वपूर्ण आंकड़ों को भी प्रकाशित नहीं होने दिया है, जिससे आंकड़ों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।

जनगणना से प्राप्त आंकड़े विभिन्न योजनाओं और सर्वेक्षणों के लिए आधार बनते हैं। यह न केवल सर्वेक्षणों की पृष्ठभूमि तैयार करता है, बल्कि देश की आबादी, आर्थिक, सामाजिक और भौतिक जीवन की वास्तविकता को सामने लाता है। इसके अलावा, ग्राम पंचायत, शहर के वार्ड, पंचायत और नगरपालिका के आकार-प्रकार के निर्धारण में भी इसकी भूमिका होती है।

सरकार की नीतियों और बजट का आवंटन भी जनगणना के आंकड़ों पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए, मुफ्त राशन वितरण की योजना में आबादी के नए हिसाब को ध्यान में रखा जाए तो अधिक लोगों को लाभ मिल सकता है। इसके अलावा, संसदीय क्षेत्रों का पुनर्गठन, गरीबी का आकलन और संपत्ति का हिसाब भी जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर करता है।

जनगणना को लेकर सरकार की राजनीति भी सवालों के घेरे में है। सरकार जनगणना से जुड़े आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करना चाहती, क्योंकि इससे उसकी राजनीति कमजोर हो सकती है। उदाहरण के लिए, मुसलमानों की आबादी वृद्धि की रफ्तार, दक्षिण और उत्तर के राज्यों के बीच संसदीय क्षेत्रों का पुनर्गठन आदि मुद्दों पर सरकार उलझ सकती है।

जनगणना को रोकने का एक और कारण राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) से जुड़ी विवादास्पद प्रावधान हैं। इन कानूनी प्रावधानों को लेकर सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनआरसी को लेकर जनगणनाकर्ताओं का विरोध करने का आह्वान किया था, जिससे सरकार और भी अधिक चिंतित हो गई थी।